नौसेना के 45000 करोड़ रुपये के सबमरीन प्रोजेक्ट के लिए अडानी ग्रुप ने भी दावेदारी पेश की है। आखिरी वक्त में पेश इस दावेदारी से इस प्रोजेक्ट को हासिल करने की रेस में शामिल दूसरी कंपनियां हैरान हैं।
यह प्रोजेक्ट ‘मेक इन इंडिया’ के तहत रक्षा क्षेत्र का सबसे बड़ा सौदा माना जा रहा है। इस प्रोजेक्ट को हासिल करने की दौड़ में एलएंडटी, एमडीएल और रिलायंस नेवल शामिल हैं।
इन तीनों कंपनियों के पास अपने शिपयार्ड हैं। अडानी के पास अपना शिपयार्ड नहीं है। इस वजह से गौतम अडानी के बोली लगाने से दूसरी कंपनियों को हैरानी हुई है।
जो काम सरकारी कम्पनियां कर रही है उनसे छीनकर नौसिखिया को दिया।
सूत्रों का कहना है कि अडानी समूह इस प्रोजेक्ट के लिए हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL) के साथ मिलकर स्पेशल पर्पस व्हीकल बना सकता है। एचएसएल सरकारी कंपनी है। उसके पास पनडुब्बी की मरम्मत का अनुभव है। मजेदार बात यह है कि एचएसएल ने इस प्रोजेक्ट के लिए खुद भी बोली लगाई है।
इस दावेदारी के बारे में पूछने पर अडानी समूह ने कुछ बताने से इनकार कर दिया। इस बोली के साथ अडानी ग्रुप सरकार के तीन बड़े रक्षा सौदों का दावेदार बन गया है। इनमें भविष्य के लड़ाकू विमान, नौसेना के हेलीकॉप्टर और पारंपरिक पनडुब्बियों से जुड़े प्रोजेक्ट शामिल हैं।
इस दावेदारी के बारे में पूछने पर अडानी समूह ने कुछ बताने से इनकार कर दिया. इस बोली के साथ अडानी ग्रुप सरकार के तीन बड़े रक्षा सौदों का दावेदार बन गया है. इनमें भविष्य के लड़ाकू विमान, नौसेना के हेलीकॉप्टर और पारंपरिक पनडुब्बियों से जुड़े प्रोजेक्ट शामिल हैं।
नौसेना के सबमरीन प्रोजेक्ट के लिए एलएंडटी, मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स (MDL) और रिलायंस नेवल ने भी बोली लगाई है। अभी यह प्रोजेक्ट शुरुआती दौर में है। इस प्रोजेक्ट के तहत नौसेना के लिए छह पारंपरिक पनडुब्बियां बनाई जानी हैं।
इसके लिए एक भारतीय कंपनी को चुना जाएगा, जो विदेशी पार्टनर के साथ मिलकर पनडुब्बियां बनाएगी। रक्षा मंत्रालय अगले दो महीने में बोली के आधार पर चुनी गई कंपनियों की सूची को अंतिम रूप देगा।
इस साल के अंत तक इस प्रोजेक्ट के लिए निविदा जारी हो सकती है. इसके लिए रूस, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन और स्वीडन को विदेशी पार्टनर के दावेदार कौ तौर पर चुना गया है. चुने गए दावेदार को प्रोजेक्ट मिलने में कम से कम दो साल का समय लग सकता है।
जब सब विदेशी तो मेक इन इंडिया केवल नाम का
इस प्रोजेक्ट का अडाणी के पास जाने के बाद अब लोग ने मेक इन इंडिया पर सवाल उठाना शुरू किया अगर सरकार को विदेशियों से ही सब करवाना था तो मेक इन इंडिया के नाम पर करोड़ो क्यों उड़ाया। जो काम सरकार और पुब्लिक सेक्टर की कमपनीय वर्षो से कर रही है जिनके पास अनुभव है उनसे लेकर किसी नए को क्यों ? जिसने कभी इस क्षेत्र में काम भी नहीं किया हो।