वर्तमान सरकार पर लगातार नौकरशही पर नियंत्रण रखने और जेतीय के आधार पर पोस्टिंग, प्रमोशन देने के आरोप लगते रहे है, ऐसे में आईपीएस अधिकारियों ने इसे ‘निराशाजनक’ बताया कि ‘सरकार कुछ अधिकारियों को रिटायरमेंट के बाद एक्सटेंशन देती रहती है तो कुछ को अतिरिक्त पद का भार सौंपा दिया जाता है। जबकि एक दर्जन से ज्यादा अधिकारी डीजी पद पर प्रोन्नति के इंतजार में हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक डीजी बनने योग्य अधिकारियों की सूची (जो पिछले साल फरवरी तक की है) में 28 अधिकारियों के नाम शामिल हैं। इसमें 24 आईपीएस अधिकारी 1988 के बैच के हैं।
इसके अलावा राज्यों की ‘ऑफर लिस्ट’ में भी तीन अधिकारियों के नाम प्रस्तावित हैं, जिन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति की ओर से महानिदेशक नियुक्त किया जा सकता है। और ऐसी नियुक्ति संबंधित राज्य सरकारों के अनुमोदन के बाद ही की जाती है। फिलहाल इनमें से अधिकांश अधिकारी विशेष महानिदेशक या विशेष निदेशक के रूप में कार्य कर रहे हैं।
केंद्रीय या राज्य संगठनों में पद के हिसाब से देखें तो डीजी की तुलना में इन पदों को कमतर करके आंका जाता है। केंद्र सरकार में खाली पदों की सूची के मुताबिक केंद्र में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (एनपीए) और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) में डीजी स्तर के तीन रिक्त पद हैं। यह लिस्ट एमएचए वेबसाइट पर भी मिल जाएगी।
कुछ को एक्सटेंशन, तो कुछ को अतिरिक्त प्रभार
- फरवरी 2021 में डीजी के रूप में पैनल में शामिल 24 आईपीएस अधिकारियों में से दो गुजरात कैडर के हैं।
- उनमें से एक प्रवीण सिन्हा, मई 2021 में अंतरिम सीबीआई निदेशक बने और बाद में इंटरपोल कार्यकारी समिति में एक प्रतिनिधि के रूप में चुने गए। यह एक डीजी के समान रैंक वाली पोस्टिंग हैं।
- दूसरे अतुल करवाल हैं। वह एनडीआरएफ डीजी के पद पर कार्यरत हैं और इन्हें एनपीए का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा हुआ है।
- 1984 के बैच के राकेश अस्थाना को जुलाई 2021 में उनकी रिटायरमेंट से कुछ दिन पहले एक इंटर-कैडर- गुजरात से अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश कैडर तक प्रतिनियुक्ति दी गई और उन्हें एक साल का एक्सटेंशन देते हुए दिल्ली पुलिस कमिश्नर नियुक्त कर दिया गया। उन्होंने नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक के रूप में भी काम किया है।
- तमिलनाडु कैडर के 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी संजय अरोड़ा वर्तमान में एसएसबी के अतिरिक्त प्रभार के साथ आईटीबीपी के महानिदेशक के रूप में कार्यरत हैं।
- पश्चिम बंगाल कैडर के 1986 बैच के अधिकारी कुलदीप सिंह, एनआईए के अतिरिक्त प्रभार के साथ सीआरपीएफ के महानिदेशक के रूप में कार्य करते हैं।
- पंजाब कैडर के 1984 बैच के अधिकारी सामंत कुमार गोयल रॉ के प्रमुख हैं। उन्हें पिछले साल ही एक साल का विस्तार मिला था। असम-मेघालय कैडर से उनके बैचमेट, अरविंद कुमार, इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक हैं और उन्हें भी इसी तरह का एक्सटेंशन मिला हुआ है।
कुछ ऐसे अन्य अधिकारी भी हैं जो एक्सटेंशन पर होते हुए भी अतिरिक्त प्रभार संभाले हुए हैं।
गैर-कानूनी तो नहीं है लेकिन स्वाभाविक भी नहीं है.’ इस तरह की नियुक्ति या पद्दोनति में समस्या क्या है? इस पर ऊपर उद्धृत पहले आईपीएस अधिकारी ने कहा कि यह ‘किसको क्या मिलता है ? ये इसके बारे में नहीं है बल्कि सवाल निष्पक्षता को लेकर है ?
अधिकारी ने कहा, ‘एक पद पर लंबे समय तक बने रहने की यह व्यवस्था इस शासनकाल (मोदी सरकार) के दौरान ही सामने आई है। सरकार के पास स्पष्ट रूप से अपने पसंद के अधिकारी हैं’ वह आगे कहते हैं, ‘यह प्रणाली निश्चित रूप से एक अधिकारी की निष्पक्षता को प्रभावित करती है। ?