साल 1950 में लागू हुए देश के संविधान में जाति आधारित भेदभाव पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन संविधान बनने के 70 साल बाद भी देश जातिवाद के दंश से ‘आजाद’ नहीं हो पाया है।
इसकी वजह तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में हुआ एक क्रिकेट टूर्नामेंट है, जिसमें सिर्फ ब्राह्मणों को खेलने की इजाजत दी गई। क्या है यह पूरा मामला, जानते और समझते हैं इस रिपोर्ट में..
25-26 दिसंबर को हुआ टूर्नामेंट
जानकारी के मुताबिक, सोशल मीडिया पर एक क्रिकेट टूर्नामेंट के पोस्टर काफी वायरल हो रहे हैं। इन पोस्टर्स पर ब्राह्मण क्रिकेट टूर्नामेंट का जिक्र है, जो 25 और 26 दिसंबर को हैदराबाद के नागोल स्थित बीएसआर क्रिकेट ग्राउंड में खेला गया।
इन पोस्टरों में चौंकाने वाली बात यह थी कि टूर्नामेंट में खेलने वाले खिलाड़ियों को अपने साथ आईडी प्रूफ लाने को कहा गया। वहीं, पोस्टर में साफतौर पर यह लिखा था कि दूसरी जाति का कोई भी व्यक्ति इस टूर्नामेंट में खेल नहीं पाएगा।
स्थानीय निकायों की इजाजत से हुआ टूर्नामेंट
ब्राह्मण क्रिकेट टूर्नामेंट के पोस्टर पर मौजूद नंबरों से संपर्क किया गया तो तय तारीख पर क्रिकेट टूर्नामेंट होने की जानकारी मिली। साथ ही, बताया गया कि इस टूर्नामेंट का आयोजन स्थानीय निकायों से इजाजत लेने के बाद किया गया।
इसके अलावा कोविड-19 के बचाव से जुड़े सभी नियमों का पालन किया गया। आयोजकों का दावा है कि इस टूर्नामेंट से हुई कमाई एक स्थानीय एनजीओ को दान कर दी गई। गौरतलब है कि हैदराबाद जैसा जातिवाद का क्रिकेट टूर्नामेंट जालंधर में भी खेला जा चुका है। दरअसल, साल 2017 के दौरान जालंधर में सिर्फ ब्राह्मणों के लिए क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया गया था।
यह टूर्नामेंट ‘ड्रग के खतरे को खत्म करने के लिए’ नामक सामाजिक अभियान के तहत आयोजित हुआ था। इस टूर्नामेंट की टैगलाइन ‘ब्राह्मणों का, ब्राह्मणों के लिए और ब्राह्मणों के द्वारा’ थी। बताया जाता है कि जालंधर में हुए इस टूर्नामेंट में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान से 24 टीमों ने हिस्सा लिया था और पंजाब की भार्गव क्रिकेट असोसिएशन का हर सदस्य ब्राह्मण था।