उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर योगी सरकार ने फॉर्मूला तैयार कर लिया है, जिसके तहत जिनके पास दो से अधिक बच्चे होंगे, वे न तो सरकारी नौकरी के लिए योग्य होंगे और न ही कभी चुनाव लड़ पाएंगे।
दरअसल, उत्तर प्रदेश की राज्य विधि आयोग ने सिफारिश की है कि एक बच्चे की नीति अपनाने वाले माता पिता को कई तरह की सुविधाएं दी जाएं, वहीं दो से अधिक बच्चों के माता-पिता को सरकारी नौकरियों से वंचित रखा जाए। इतना ही नहीं, उन्हें स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने से रोकने समेत कई तरह के प्रतिबंध लगाने की सिफारिश इस प्रस्ताव में की गई है। लेकिन सरकार का यह कानून विवादों में चढ़ाता जा रहा है ?
क्या सरकार कि परिवार नियोजन योजना ग्रामीण स्तर पहुँच रही है ?
यह बात सही है सरकार द्वारा परिवार नियोजन की तरफ़ ध्यान दिया गया लेकिन आज भी ग्रामीण इलाकों में इनकी कमी है लोग में जागरूकता का अभाव है, परिवार नियोजन टूल( गर्भनिरोधक गोलिया , कॉन्डोम , जागरूकता की कमी अदि) समय पर उपलब्ध नहीं है।
क्या चुनाव व सरकारी योजना से विशेष जाति धर्म के लोगो को वंचित करने की चाल है ?
इस कानून को लेकर विपक्ष का कहना है सरकार ऐसा इस लिए कर रही है क्यूंकि अधिक बच्चे उन समाज के लोगो के जिन्हे आज तक के भारत में साक्षरता दर पीछे। दलित, पिछड़ों की भागीदारी आज भी न के बराबर है ऐसे में यह कानून बनकर सरकार उनकी भागीदारी रोकने की नीति बना रही है।
क्या इस कानून के तहत मुसलामनों पर निशाना साधा जा रहा है ?
सोशल मीडिया पर पहले कट्टर हिंदूवादीयो द्वारा मुसलमानो के प्रति विवादित बयान बाद में चुनाव से पहले जल्दबाजी में यह कानून आखिर क्या दर्शाता है। जाहिर है ग्रामीण भारत सहित वे सभी समुदाय जिनका प्रतिनिधित्व आज भी पिछड़ा है। वे इस कानून के शिकार होंगे।