पंतनगर। विश्वविद्यालय के 117वें अखिल भारतीय किसान मेले एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी का उद्घाटन आज मुख्य अतिथि माननीय पूर्व राज्यपाल, महाराष्ट्र एवं पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड श्री भगत सिंह कोष्यारी द्वारा फीता काटकर किया गया।
विशिष्ट अतिथि माननीय सांसद नैनीताल-ऊधमसिंह नगर श्री अजय भट्ट के साथ कुलपति, डा. मनमोहन सिंह चौहान; निदेशक प्रसार शिक्षा, डा. जितेन्द्र क्वात्रा, विधायक लालकुआं श्री मोहन सिंह बिष्ट, विश्वविद्यालय प्रबंधन परिषद के सदस्य एवं पूर्व विधायक श्री राजेश शुक्ला, कार्यवाहक निदेशक शोध, डा. पी.के. सिंह एवं अन्य अतिथि मंचासीन थे। मेले के उद्घाटन के पश्चात कुलपति, डा. मनमोहन सिंह चौहान द्वारा श्री भगत सिंह कोष्यारी एवं विशिष्ट अतिथियों को मेले में लगी उद्यान प्रदर्शनी तथा विष्वविद्यालय के महाविद्यालयों द्वारा लगायी गयी विभिन्न प्रदर्शनियों के स्टालों का अवलोकन कराया गया। तदोपरान्त मुख्य अतिथि द्वारा राज्य के उत्कृष्ट किसानों, वैज्ञानिकों, विद्यार्थियों को दीक्षांत पण्डाल में संबोधित किया गया।
मुख्य अतिथि श्री कोष्यारी ने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा किये जा रहे नवीन कार्यों की सराहना की। उन्होंने विश्वविद्यालय के एक प्रकाषन एनहैंसमेंट फॉर इकोनामिक एंपावरमेंट नामक पुस्तक का जिक्र करते हुए कहा कि जहां एक ओर महिलाएं पर्दे में थी वहीं आज के दौर में महिलाएं वैज्ञानिक के रूप में विश्वविद्यालय का नाम रोषन कर रही है।
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों को नयी तकनीक शोध पर अधिक कार्य करने की आवश्यकता यकता है जिससे किसान उन तकनीकों को अपना कर अपनी आय में वृद्धि कर सके।
उन्होंने कहा कि इस किसान मेले में किसान एवं वैज्ञानिक का समावेश होता है जहां किसान विभिन्न नवीन तकनीकी की जानकारी प्राप्त करते है। उन्होंने कहा कि यह किसान मेला कृषि और ऋषि का संगम है।
उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री जी की योजनाओं के बारे में बताते हुए कहा कि उत्तराखण्ड में मोटे अनाजों की उत्पादकता हेतु विषेश ध्यान दे रहे है, जिससे उत्तराखण्ड आने वाले समय में मोटे अनाजो के क्षेत्र में अग्रणी होगा। उन्होंने वैज्ञानिकों से अह्वाहन किया कि अगली श्वेत क्रांति इस विश्वविद्यालय से प्रारम्भ हो।
उन्होंने वैज्ञानिकों को लैब टू लैंड की ओर ध्यान केन्द्रीत करने की आवष्यकता पर बल दिया।
विषिष्ट अतिथि श्री अजय भट्ट द्वारा विश्वविद्यालय में आयोजित किये गये 17वीं कृषि विज्ञान सम्मेलन में आये हुए देश ही नही बल्कि विदेषों के वैज्ञानिकों को एक मंच पन्तनगर विश्वविद्यालय ने दिया।
इसके लिए उन्होंने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को धन्यवाद दिया और कहा कि उत्तराखण्ड लगातार देष के किसानों के हित में प्रयासरत है और पन्तनगर विश्वविद्यालय इस ओर एक अहम भूमिका निभा रहा है, जो किसान मेला के रूप में किसानों के मध्य नवाचारों और नवीन तकनीकों एवं प्रजातियों को पहुंचा रहा है।
कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान ने कहा कि प्रसार शिक्षा निदेशालय के 9 कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा धान, गेहूं ही नहीं अपितु गाय, बकरी, कुक्कुट, जय गोपाल वर्मीकम्पोस्ट का भी प्रदर्शन किया जा रहा है, जिससे किसान उन सभी व्यवसाय को अपनाकर अपनी आय में वृद्धि कर रहें है और किसानों के मध्य जा कर वैज्ञानिक उनकी समस्याओं का समाधान कर रहे है तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा गत वर्ष 355 प्रशिक्षण विभिन्न विषयों पर आयोजित किये गये है।
उन्होंने प्रसार षिक्षा निदेशालय द्वारा वर्ष में दो बार किसान मेला के माध्यम से किसानों को नवाचार, तकनीक और नवीन प्रजातियां की जानकारी प्रदर्षन के माध्यम से प्रदान की जा रही है। उन्होंने देश में बढ़ती हुयी कुपोष्ण की समस्या पर अपने विचार रखे।
उन्होंने किसानों से अह्वाहन किया कि इस किसान मेले में आकर पन्तनगर बीज, नवीनतम फसल प्रजातियां, नवाचारों आदि की व्यवहारिक जानकारी लेकर उनका उपयोग अपनी कृषि में कर लाभ उठाये।
उद्घाटन सत्र के प्रारम्भ में निदेशक प्रसार षिक्षा डा. जितेन्द्र क्वात्रा ने सभी आगन्तुकों का स्वागत किया एवं मेले के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि पूर्व में आयोजित 116वें किसान मेले में 440 फर्मों द्वारा प्रदर्शन किया गया तथा 28000 किसानों द्वारा किसान मेले का भ्रमण किया गया।
उन्होंने किसान मेले की थीम ‘सहकारी खेती के माध्यम से सतत कृषि विकास’ के बारे में बताते हुए कहा कि समर राईस के स्थान पर विभिन्न फसलों का प्रयोग करने के लिए किसान गोष्ठी के माध्यम से किसानों को जानकारी दी जायेगी। उद्घाटन सत्र में डा. पी.के. सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर मंचासीन अतिथियों द्वारा विभिन्न कृषि साहित्यों का विमोचन किया गया तथा उत्तराखण्ड के विभिन्न जिलों के कृषि विज्ञान केन्द्र के माध्यम से चयनित 9 कृषकों को सम्मानित किया गया। उद्घाटन सत्र के दौरान मेला प्रांगण में कुलसचिव, निदेशक प्रशासन एवं अनुश्रवण, अधिष्ठाता, निदेशकगण, संकाय सदस्य, किसान, विद्यार्थी, वैज्ञानिक, शिक्षक, अधिकारी, विभिन्न कम्पनियों के प्रतिनिधि एवं अन्य आगंतुक उपस्थित थे। मेले में उत्तराखण्ड के विभिन्न जनपदों के साथ-साथ अन्य प्रदेशों तथा नेपाल के किसान भी उपस्थित थे।