रिपोट – असद खान स्टेट हेड उत्तराखंड पन्तनगर
पंतनगर।। विश्वविद्यालय में कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान की अध्यक्षता में 117वें अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्षनी के आयोजन से पूर्व आज प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक का आयोजन कुलपति सभागार में किया गया।
पत्रकार वार्ता का संचालन सहायक निदेशक संचार डा. अर्पिता शर्मा काण्डपाल द्वारा किया गया। निदेशक प्रसार षिक्षा, डा. जितेन्द्र क्वात्रा ने बताया कि कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान के नेतृत्व में 117वंे अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी का आयोजन 7 से 10 मार्च 2025 तक किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि 117वां अखिल भारतीय किसान मेले कृषि एवं उद्योग प्रदर्शनी का उद्घाटन 7 मार्च 2025 को मुख्य अतिथि माननीय पूर्व राज्यपाल, महाराष्ट्र एवं पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड श्री भगत सिंह कोष्यारी एवं विषिष्ट अतिथि माननीय मंत्री कृषि एवं कृषक कल्याण, उत्तराखण्ड श्री गणेश जोशी , माननीय भूतल परिवहन राज्य मंत्री भारत सरकार श्री अजय टम्टा एवं माननीय सांसद नैनीताल-ऊधमसिंह नगर श्री अजय भट्ट की उपस्थिति में अपराह्न 2ः00 बजे किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि किसान मेला के उद्घाटन के उपरांत होने वाले समस्त कार्यक्रम दीक्षांत पण्डाल में किया जाएगा। मेले का मुख्य उद्देश्य कृषि विविधीकरण के साथ वैज्ञानिकों द्वारा विकसित तकनीकी जानकारी को और अधिक बढ़ाया जाना है,
जिससे किसान उन तकनीकों को अपनी खेती में अपनाकर आय में वृद्धि कर सके। इस मेले में विश्वविद्यालय की ओर से विकसित खरीफ की विभिन्न फसलों एवं सब्जियों आदि की बीज प्रदर्शनी लगेगी।
कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान ने अपने संबोधन में बताया कि हाल ही में विष्वविद्यालय ने 17वीं एग्रीकल्चरल साइंस कांग्रेस का सफल आयोजन किया, जिसमें मुख्यमंत्री सहित कई प्रतिष्ठित एवं गणमान्य अतिथियों ने प्रतिभाग किया।
उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा विश्वविद्यालय को अतिरिक्त फंडिंग प्रदान की जाएगी, जिससे शोध और अकादमिक गतिविधियों को और अधिक बढ़ावा मिलेगा। इस चार दिवसीय किसान मेले के दौरान किसान गोष्ठी का आयोजन किया जाएगा,
जिसमें वैज्ञानिकों द्वारा ग्रीष्मकालीन धान (समर राइस) के विकल्प पर चर्चा होगी। इसके अलावा, किसानों को उन्नत धान, बागवानी एवं सब्जियों के बीज उपलब्ध कराए जाएंगे।
कृषि अनुसंधान से जुड़े नवीनतम नवाचारों को प्रदर्शित किया जाएगा, साथ ही डेयरी फार्म पर बद्री गाय के विषय में और पोल्ट्री फार्म पर मुर्गी पालन विषय में जानकारी दी जायेगी। कुलपति ने बताया कि 2030 तक मोटे अनाज (मिलेट्स) की कीमतें धान और गेहूं से अधिक हो सकती हैं, जिससे इनके उत्पादन को प्रोत्साहित करना आवश्यक है।
उन्होंने कोदा, झिंगोरा और मंडुआ जैसी पारंपरिक फसलों की बढ़ती महत्ता और उनकी संभावित उच्च बाजार कीमतों पर प्रकाश डाला।
किसान मेला फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने और मत्स्य पालन, मुर्गी पालन एवं फल उत्पादन को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित रहेगा। यह चार-दिवसीय आयोजन 1000 से अधिक किसानों को जोड़ने का लक्ष्य रखता है, जहां उन्हें नवीनतम तकनीकों और बाजार के नए अवसरों की जानकारी दी जाएगी।