कानपुर : बिधनू किशान नगर मार्ग में कसुई गांव के किनारे बाबा साकार विश्वहारी का आश्रम स्थित है। यहां पर आश्रम के सामने बने रास्ते से ग्रामीणों को निकलने में आए दिन विवाद होता है। लेकिन बाबा के भक्तो के भय से ग्रामीण कुछ खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। एक बुजुर्ग महिला ने अपनी आपबीती हमे बताई। बताया कि उन्हे आश्रम के सामने से निकलने में रोका जाता है, कहा जाता है, कि खेत से आया जाया करो। इस बात को लेकर कई बार विवाद भी हो चुका है। 14 बीघा में फैला आश्रम का सम्राज्य, तीन बीघे में बना बाकी का हो रहा निर्म गेट पर कसूई गांव निवासी राजरानी मिली उन्होंने हमे बताया कि यहां पर लगभग दस सेवादार महिलाए और पुरुष रहते है। जो आश्रम में रहकर पूजा पाठ करने के साथ अपनी शारीरिक सेवा देते है। उन्होंने बताया कि आश्रम में रोजाना सुबह 11 बजे और शाम को सात बजे आरती होती है।
जिसमे सेवादार के साथ आसपास गांव से कुछ भक्त आश्रम में पहुंचते है। यह आश्रम किशान नगर समेत आसपास क्षेत्र में बाबा की एक मात्र स्थल है। इसके बाद हम कसुई गांव पहुंचे यहां पर हमारी बात फोन द्वारा गांव निवासी विजय यादव से हुई विजय ने हमे बताया की आश्रम की देखरेख वह स्वयं करते है। कमेटी में वह संरक्षक के पद पर है। आश्रम के अध्यक्ष अनिल तोमर हैं। यहां पर आश्रम लगभग तीन बीघे में बना हुआ है। आश्रम के अंदर वीवीआईपी व्वस्था है। हालाकि आश्रम के अध्यक्ष कल शाम से वापस आश्रम नही आए है।
कानपुर के बर्रा निवासी मोहित सचान का आश्रम की जमीन का विवाद चल रहा था । आरोप है, की मोहित सचान की जमीन पर आश्रम बनवा दिया गया। अब आश्रम के द्वारा उन्हें पीछे जमीन दी जा रही थी । जिसको लेकर दोनो के बीच विवाद चल रहा है। मगर कुछ लोगों के बीच बैठकर दोनों का आप ही समझौता हो गया था। थाना प्रभारी जितेंद्र सिंह ने बताया आश्रम के नाम अभी तक कोई मुकदमा नहीं दर्ज हुआ है ना ही कोई वाद विवाद की एप्लीकेशन आई। सेवादार बोले – मन से मन का होता मिलन ईश्वर की सारण में रहते चार दिन! भोजन व्यवस्था हम लोग स्वयं करते हैं अपने घर से भोजन सामग्री आदि हैं वही आश्रम में बनाते हैं!
रास्ते से निकलने में धमकाते पुलिस भी लेती आश्रम का पक्ष कसुई गांव में बाबा के आश्रम का भय व्याप्त हैं। गांव निवासी नारेन्द्र बताते है, कि आश्रम के आगे से उनके खेत को जाने के लिए रास्ता है। जब आश्रम बना तो उन्हे लगा की अब खेत में आने जाने के लिए रास्ता साफ सुधरा हो गया। उन्हे क्या पता था, कि बाबा के लोग उन्हें वहां से निकलने नही देंगे। जब वह लोग अपने खेतो में जाने के लिए आश्रम के सामने से निकलते है। तो यहां पर अध्यक्ष उन्हे रोकते है, कई बार तो मारपीट के साथ थाना चौकी तक हो चुका है। लेकिन पुलिस आश्रम का पक्ष लेती है, जिसके चलते ग्रामीणों में डर का माहोल है, आश्रम के प्रति कोई भी कुछ खुलकर बोलने को तैयार नहीं है।