बरेली : राजीव राणा ने गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में उगले कई राज, भाई संजय ने जुटाए थे भाड़े के गुंडे राजीव राणा ने बृहस्पतिवार को गिरफ्तारी के बाद कई राज उगले। उससे पुलिस लाइन में उच्चाधिकारियों और थाना इज्जतनगर में पुलिस ने अलग-अलग लंबी पूछताछ की। इसमें पता चला कि उसने प्लॉट पर कब्जा लेने की जिम्मेदारी अपने भाई संजय राणा को सौंपी थी। संजय ने हिस्ट्रीशीटर केपी यादव की मदद से भाड़े के गुंडों का बंदोबस्त किया। गोलीकांड के बाद राजीव पहले लखनऊ और फिर हरिद्वार पहुंचा। वहां से मथुरा जाने वाला था लेकिन इसी बीच उसे भनक लग गई कि उसके होटल और कोठी पर बुलडोजर चलने जा रहा है तो वह आत्मसमर्पण करने बरेली पहुंच गया। राणा को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस उसे पुलिस लाइन में एसओजी कार्यालय ले गई जहां उच्चाधिकारियों ने काफी देर उससे पूछताछ की। राणा ने बताया कि उसने प्लॉट को एक डॉक्टर से खरीदा था लेकिन प्लॉट पर आदित्य उपाध्याय का कब्जा था। दोनों पक्षों ने समझौता करने के लिए कई बार बातचीत की लेकिन समझौता नहीं हो सका।
इसी के बाद राजीव राणा ने प्लॉट पर गुंडों के दम पर कब्जा करने की योजना बनाई। इसी योजना के तहत राजीव राणा ने 20 और 21 जून को दो बार थाना इज्जतनगर जाकर पुलिस को कोर्ट के पुराने आदेश की कॉपी दिखाई और फोर्स मांगी। इसी के साथ भाई संजय राणा के जरिए भाड़े के जिले भर से गुंडों का भी बंदोबस्त किया। संजय ने हिस्ट्रीशीटर केपी यादव के साथ मिलकर यह इंतजाम किया। 21 जून की रात इन गुंडों के साथ पार्टी हुई, इसी दौरान उन्हें पूरी योजना समझाई गई। इसके बाद 22 जून को प्लॉट पर कब्जा करने के लिए दिनदहाड़े दो घंटे तक गोलियां चलाई गईं। इस घटना ने उसकी उम्मीद से ज्यादा तूल पकड़ा तो राजीव राणा लखनऊ निकल गया। उसके बाद हरिद्वार में शरण ली।
वहां से वह मथुरा जाने के लिए तैयारी कर रहा था कि बुधवार रात को उसे भनक लगी कि प्रशासन उसके होटल और कोठी पर बुलडोजर चलाने जा रहा है तो वह मथुरा के बजाय बरेली आ गया। यही वजह रही कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू होने के दो घंटे के अंदर उसने मौके पर पहुंचकर आत्मसमर्पण कर दिया। पुलिस लाइन में पूछताछ के बाद उसे इज्जतनगर थाने ले जाया गया और वहां भी लंबी पूछताछ की गई। रात में दोबारा उसे एसओजी कार्यालय ले आया गया जहां उससे उच्चाधिकारियों ने दोबारा पूछताछ की।