Varanasi News: ईडी अफसरों के अनुसार जेवीएल एग्रो का काम देखने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट, प्रबंधक और बैंक संबंधी काम काज देखने वालों से भी टीम पूछताछ कर सकती है। फिलहाल इन सभी के मोबाइल बंद हो गए हैं। झुनझुनवाला के कई करीबी लोगों ने भी सुबह से लेकर शाम तक अपने मोबाइल बंद रखे।
वाराणसी शहर के उद्योगपति दीनानाथ झुनझुनवाला के तीन ठिकानों पर सुबह से लेकर रात तक प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने छापा मारा। शनिवार की सुबह भी यह कार्रवाई जारी रही। चेतगंज थाना क्षेत्र के नाटी इमली में मकान, सारनाथ के आशापुर और सिंधोरा रोड पर फॉर्म हाउस पर एक साथ शुक्रवार की सुबह सात बजे पहुंची थी।
इस दौरान मकान और कार्यालय के अंदर-बाहर किसी को नहीं जाने दिया गया। बैंक लोन घोटाले के मामले से जुड़ी इस कार्रवाई में परिजनों और कर्मचारियों के मोबाइल भी ईडी की टीम ने बंद करा दिए। कार्यालय से कई फर्म के दस्तावेज, लैपटॉप, कंप्यूटर के हार्ड डिस्क, रसीद, बैंक पासबुक, चेकबुक और बैंक खातों से लेनदेन की डिटेल खंगाली। साथ ही रिकॉर्ड को ईडी की टीम ने कब्जे में लिया है।
दीनानाथ झुनझुनवाला पर एक हजार करोड़ से अधिक के बैंक धोखाधड़ी का आरोप है। पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के 900 करोड़ हैं। झुनझुनवाला और उनके परिवार ने 11 बैंकों से करोड़ों का लोन लिया था। जिसे अब तक लौटाया नहीं है। उनकी कंपनी जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड सबसे बड़ी कर्जदार है। माना जा रहा है कि इसी मामले में ईडी की कार्रवाई चल रही है।
50 साल पहले लगाते थे फेरी, अब विदेश में भी कारोबार
उद्योगपति दीनानाथ झुनझुनवाला लगभग पांच दशक पहले फेरी लगाकर कपड़ा बेचते थे। बाद में उन्होंने झूला ब्रांड डालडा (वनस्पति तेल) बनाना शुरू किया, जो यूपी-बिहार में काफी मशहूर है।
उनका कारोबार इंडोनेशिया, चेकोस्लोवाकिया, मलयेशिया और श्रीलंका में भी है। मूलरूप से बिहार के भागलपुर निवासी दीनानाथ झुनझुनवाला (90), पत्नी किशोरी देवी (87) है। तीन बेटे में एक की मौत हो चुकी है। दो बेटे उनका कारोबार में हाथ बंटाते हैं।
बीएचयू से स्नातक के बाद वह फेरी लगाने लगे। फिर, बिस्किट की फैक्ट्री खोली। 17 नवंबर 1989 को झुनझुनवाला ने वनस्पति लिमिटेड नाम से कंपनी बनाई, जिसे जौनपुर के नाऊपुर में स्थापित किया। 1990 से कंपनी ने वनस्पति तेल बनाना शुरू कर दिया। कुछ दिनों में कारोबार चल पड़ा।
25 टन प्रतिदिन के उत्पादन से शुरुआत करने वाली कंपनी बाद में एक हजार टन प्रतिदिन उत्पादन करने लगी। 2008 में कंपनी ने अपना नाम जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड किया। जेवीएल एग्रो ने वनस्पति, रिफाइंड सोयाबीन और सरसों का तेल बनाया।