Gorakhpur News:जिला और महिला अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों को डॉक्टर से दो रुपये के पर्चे पर परामर्श मिल जाता है, लेकिन दवा के लिए हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। क्योंकि डॉक्टर पर्चे पर जो दवाएं लिखते हैं, उनमें से अधिकांश गेट के बाहर खुली दुकानों पर मिलती हैं। परिसर में खुले जनऔषधि केंद्र पर भी वही दवाएं मिलती हैं जो अस्पताल में निशुल्क दी जाती हैं।
जिला और महिला अस्पताल में मरीजों और तीमारदारों का दम दवा का भुगतान करने समय निकल जा रहा है। हफ्ते भर की दवा के लिए मरीजों को हजारों रुपये देने पड़ रहे हैं। ऐसे में सस्ता इलाज का दावा फेल होता दिख रहा है। जनऔषधि केंद्र पर विटामिन, आयरन, दर्द-बुखार की दवाएं ही उपलब्ध हैं। आर्थो और अन्य जटिल रोग की दवाएं यहां पर मुश्किल से मिल पाती हैं।
प्रतिदिन दो हजार से ज्यादा की ओपीडी वाले जिला अस्पताल की जनऔषधि पर बमुश्किल 200 लोग दवा लेने के लिए पहुंचते हैं। महिला अस्पताल में भी हर दिन 400 से अधिक की ओपीडी होती है। यहां तो पूरे दिन 15-20 महिलाएं ही जनऔषधि तक पहुंचती है। इन्हें भी पूरी दवा नहीं मिलती है। मरीजों को दवा लिखने के साथ ही डॉक्टर दवा की दुकान का पता भी बताते हैं।
जन औषधि केंद्र में दवा हो रही एक्सपायर
बाहर की दवाएं लिखने का असर जनऔषधि केंद्र पर भी पड़ रहा है। जिला अस्पताल में संचालित जनऔषधि केंद्र में पिछले दो महीने में छह हजार की दवाएं एक्सपायर हो गईं। वजह यह कि डॉक्टर जो दवाएं लिखते हैं वे अधिकांश बाहर ही मिलती हैं। शुक्रवार को दवा खरीद रहे मरीजों और तीमारदारों का कहना है कि यह सिर्फ नाम का सरकारी अस्पताल है।
यहां दो रुपये की पर्ची पर डॉक्टर हजार रुपये की दवा लिखते हैं। जनऔषधि केंद्र पर दवाएं सस्ती मिलती हैं, लेकिन पर्चे पर जो लिखी जाती हैं, वे यहां मिलती ही नहीं। पर्ची पर लिखी चार दवा में से दो तो निश्चित तौर पर बाहर ही मिलती है। डॉक्टर खुद दुकान का पता भी बताते हैं।
सरकारी अस्पताल है, पर कुछ भी सस्ता नहीं है। बेटी की और अपनी दवा लेने आई थी। बेटी की दवा तो कुछ अंदर तो कुछ बाहर से मिल गई, लेकिन हमारी पूरी दवा बाहर मिली है। हफ्ते भर की दवा का मूल्य 1600 रुपये है।
सिकरीगंज की कंचन ने बताया कि बहू का इलाज कराने आई थी। हफ्ते भर की दवा बाहर से 1100 रुपये में मिली है। पर्ची बनवाने से लेकर जांच तक के लिए लाइन लगानी पड़ती है। इसके बाद दवाएं भी बाहर से खरीदनी है। इससे अच्छा है निजी अस्पताल में ही इलाज करा लें।
हुमायूंपुर की लक्ष्मी गुप्ता ने बताया जिला अस्पताल के भंडार में पर्याप्त मात्रा में दवाएं मौजूद हैं। किसी भी मरीज को बाहर की दवा नहीं लिखी जा रही है। मरीज बाहर से दवा न खरीदें, बल्कि बाहर से लिखी दवा का पर्चा लेकर आएं। इसकी जांच कराकर बाहर की दवा लिखने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
एसआईसी जिला अस्पताल डॉ. राजेंद्र ठाकुर ने बताया कि जिला अस्पताल के भंडार में पर्याप्त मात्रा में दवाएं मौजूद हैं। किसी भी मरीज को बाहर की दवा नहीं लिखी जा रही है। मरीज बाहर से दवा न खरीदें, बल्कि बाहर से लिखी दवा का पर्चा लेकर आएं। इसकी जांच कराकर बाहर की दवा लिखने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी।