West Bengal: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार तीन आपराधिक कानूनों को लेकर अपना विरोध दर्ज करा रही हैं। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा है। सीएम बनर्जी ने तीन आपराधिक कानूनों को फिलहाल लागू नहीं करने का आग्रह किया है। बता दें, ये तीनों कानून एक जुलाई से लागू होने हैं।
बनर्जी ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि नए आपराधिक कानूनों को अभी लागू नहीं किया जाए तो इन कानूनों की नए सिरे से संसदीय समीक्षा संभव होगी।
क्या हैं ये कानून?
ये तीन नए कानून हैं- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम। ये नए कानून क्रमशः औपनिवेशिक युग की भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे। नए कानूनों का उद्देश्य देश के नागरिकों को तुरंत न्याय दिलाना और न्यायिक व न्यायालय प्रबंधन प्रणाली को मजबूत बनाना है।
सौ सदस्यों को कर दिया गया था निलंबित
ममता बनर्जी ने कहा कि लोकसभा में तीनों विधेयक ऐसे समय पारित किए गए जब 146 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि आपकी निवर्तमान सरकार ने इन तीन महत्वपूर्ण विधेयकों को एकतरफा पारित किया था और इस पर कोई चर्चा नहीं हुई। उस दिन लोकसभा के लगभग 100 सदस्यों को निलंबित कर दिया गया था और दोनों सदनों के कुल 146 सांसदों को संसद से बाहर कर दिया गया था।
काले समय में विधेयकों को पास किया
उन्होंने आगे कहा, ‘लोकतंत्र के उस काले समय में विधेयकों को तानाशाही तरीके से पास किया गया। मामला अब समीक्षा का हकदार है। इसलिए मैं आपसे आग्रह करती हूं कि कम से कम नए कानूनों को लागू करने की तारीखों को टालने पर विचार करें।’
उन्होंने कहा कि विधेयक में किए गए जरूरी बदलावों को नए सिरे से विचार-विमर्श और जांच के लिए नवनिर्वाचित संसद के समक्ष रखा जाना चाहिए।
शाह को लिखा था पत्र
पिछले साल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा था। बनर्जी ने शाह से राज्यों के बीच सहमति बनाने की अपील भी की थी। शाह को लिखे पत्र में ममता बनर्जी ने कहा था कि हितधारकों के बीच आम सहमति न बनाने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। केंद्र सरकार को किसी भी कानून में बदलाव के लिए सभी हितधारकों के बीच आम सहमति बनाने का प्रयास करना चाहिए। भविष्य में दोनों विधेयकों को वर्तमान स्वरूप में पारित कराने पर गंभीर प्रकृति के प्रभाव हो सकते हैं।