दुष्कर्म के मुकदमे में गवाही के दौरान बयान से मुकरने पर कोर्ट ने युवती को उतने ही दिन कैद की सजा सुनाई, जितने दिन आरोपी जेल में रहा था। चार साल, छह माह, आठ दिन यानी 1,653 दिनों की कैद की सजा के साथ 5,88,822 रुपये अर्थदंड भी लगाया है। युवती को कोर्ट ने न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया।
कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा, इस तरह की महिलाओं के कृत्य से वास्तविक पीड़िताओं को नुकसान उठाना पड़ता है। दुर्गानगर की महिला ने दो सितंबर, 2019 को बारादरी थाने में अजय नामक युवक पर बेटी के अपहरण व दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने अजय को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। युवती ने अजय पर नशीला प्रसाद खिलाने और दिल्ली ले जाकर कमरे में बंद कर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। लेकिन, अदालत में गवाही के दौरान युवती मुकर गई। अदालत ने अजय को दोषमुक्त करार दिया, वहीं झूठी गवाही देने के लिए युवती पर मुकदमा चलाया। अपर सत्र न्यायाधीश ज्ञानेंद्र त्रिपाठी की अदालत ने उसे दोषी पाते हुए सजा सुनाई।
पुरुषों के हितों पर आघात की छूट नहीं दी जा सकती
अदालत ने कहा कि यह समाज के लिए बेहद गंभीर स्थिति है। अपने मकसद की पूर्ति के लिए पुलिस व कोर्ट को माध्यम बनाना आपत्तिजनक है। अनुचित लाभ के लिए महिलाओं को पुरुषों के हितों पर आघात करने की छूट नहीं दी जा सकती। यह मुकदमा उन महिलाओं के लिए नजीर बनेगा, जो पुरुषों से वसूली के लिए झूठे मुकदमे लिखाती हैं।
इसलिए लगाया अर्थदंड
अदालत ने युवती पर अर्थदंड भी लगाया है, जो न्यूनतम पारिश्रमिक दर के आधार पर तय किया गया। अदालत ने माना कि अजय ने जितने दिन जेल में बिताए, इतने दिन अगर वह मजदूरी करता तो कम से कम 5,88,822.47 रुपये कमा लेता। युवती से इतना जुर्माना वसूलकर अजय को दिया जाएगा। युवती जुर्माना नहीं दे पाती है तो उसे छह माह अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।