बरेली : हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों की संख्या बढ़ रही है। जिला अस्पताल में रोजाना 30 से 40 मरीजों को फैक्टर इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं। खास बात है कि दिल्ली और लखनऊ के मरीज भी यहां इंजेक्शन लगवाने आ रहे हैं। हीमोफीलिया के मरीजों को फैक्टर 8 और 9 इंजेक्शन अनिवार्य रूप से लगवाना होता है। चिकित्सकों के अनुसार अगर समय पर यह इंजेक्शन उपलब्ध न हों तो मरीजों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है। बीते वर्षों में जहां कई बार मरीजों को समय पर इंजेक्शन नहीं मिला तो उन्हें हायर सेंटर जाकर इंजेक्शन लेना पड़ा, लेकिन अब जिला अस्पताल में व्यवस्था में सुधार हुआ है।
यहां दिल्ली और लखनऊ के मरीज भी फैक्टर इंजेक्शन लगवाने आ रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार हायर सेंटरों पर मरीजों की भीड़ अधिक रहती है। इस वजह से वहां मरीजों को घंटों लाइन में लगना पड़ता है। वहां कुछ शुल्क भी लिया जाता है। यहां इंजेक्शन निशुल्क लगाया जा रहा है। इस कारण दिल्ली और लखनऊ के मरीज यहां इंजेक्शन लगवाने आते हैं। जिले में हीमोफीलिया के 253 मरीज पंजीकृत हैं, जिनका इलाज चल रहा है। एडीएसआईसी डॉ. अलका शर्मा के अनुसार मरीजों की सहूलियत के चलते फैक्टर 8 व 9 इंजेक्शन की उपलब्धता रहती है।
रक्तस्राव रोकने के लिए फैक्टर इंजेक्शन जरूरी
रक्तस्राव रोकने के लिए हीमोफीलिया के मरीजों को फैक्टर 8 और 9 इंजेक्शन लगाया जाता है। रक्तस्राव होने पर मरीज को दो घंटे के अंदर यह इंजेक्शन लग जाना चाहिए। बीमारी से पीड़ितों में ज्वाइंटों में सूजन आ जाती है, इससे रक्तस्राव होने लगता है। रक्तस्राव अगर रोका नहीं गया तो मरीज की जान भी जा सकती है।