लखनऊ / World Autism Day : बच्चे की संवाद क्षमता ठीक नहीं है और वह दूसरों से बात करने ने असहज हो जाता है या फिर वह बात नहीं करता। साथ ही वह किसी को भी माता-पिता जैसे शब्दों से संबोधित करने लगता है, तो वह आटिज्म बीमारी से ग्रसित हो सकता है। आटिज्म बच्चों में होने वाली मानसिक समस्या है इस बीमारी के होने से बचपन से ही ब्रेन का डेवलपमेंट रुक जाता है या फिर उसमें अड़चन आती है। यह कहना है किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU) के मनोचिकित्सक प्रो. आदर्श त्रिपाठी का। वह विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस के अवसर पर अमृत विचार संवाददाता वीरेंद्र पांडे से बात कर रहे थे। प्रोफेसर आदर्श त्रिपाठी ने बताया कि ऑटिज्म पीड़ित बच्चे में तीन तरह के लक्षण प्रमुख रूप से दिखाई पड़ते हैं। उन्होंने बताया कि इस बीमारी से पीड़ित बच्चे की संवाद क्षमता गंभीर रूप से प्रभावित रहती है यह बच्चे दूसरे लोगों से बात नहीं करते हैं। किसी को ठीक तरीके से संबोधित नहीं कर पाते हैं, मीनिंग्लेस बात करते हैं। इतना ही नहीं श्रवण शक्ति अच्छी होने के बावजूद भी अक्सर यह बच्चे बातों को अनसुना करते हैं। इसके अलावा एक ही काम बार-बार करते हैं। घूमती हुई चीजों को जैसे पंखे अथवा खिलौने के पहिए आदि को देखने में एकाग्र रहते हैं।
नहीं है बीमारी की कोई दवा
उन्होंने बताया कि इस समस्या की कोई दवा नहीं है। केवल प्रशिक्षण और माता-पिता की काउंसलिंग के जरिए ही बच्चों का इलाज किया जाता है। इस दौरान उन्होंने बताया कि एक लाख बच्चों में एक बच्चा इस बीमारी से पीड़ित होता है। इतना ही नहीं इस बीमारी की गंभीरता हर बच्चे में अलग-अलग होती है।
इसलिए मनाया जाता है यह विशेष दिन
प्रोफेसर आदर्श बताते हैं कि ऑटिज्म एक ऐसी समस्या है जो बचपन से बच्चों के जीवन पर असर डालती है। यह समस्या की वजह से बच्चे का पूरा जीवन प्रभावित होता है। इसलिए 2 अप्रैल के दिन विश्व आटिज्म जागरूकता दिवस मनाया जाता है। जिससे इस न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के बारे में लोगों को जागरूक किया जा सके और जो लोग इससे पीड़ित हैं उनका जीवन गुणवत्ता पूर्ण हो सके।