लखनऊ : बिजली कंपनियों ने भारत सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के विपरीत प्रदेश में लगने वाले तीन करोड़ स्मार्ट प्रीपेड मीटर के अंदर चाइनीज कॉम्पोनेंट लगाने के लिए जीटीपी अनुमोदन किया है। जिसका संज्ञान लेते हुए उपभोक्ता परिषद ने सोमवार को मामले को विद्ययुत नियामक आयोग के समक्ष उठाया।इसके साथ ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। प्रदेश में 25000 करोड़ की लागत वाले लगभग 3 करोड़ स्मार्ट प्रीपेड मीटर के अंदर लगने वाले कंपोनेंट में चाइनीज कॉम्पोनेंट शामिल कर जीटीपी अनुमोदित करने के मामले में एक नया मोड़ आ गया। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष और राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने विद्ययुत नियामक आयोग के चेयरमैन अरविंद कुमार और सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर जनहित प्रस्ताव सौंपते हुए यह मुद्दा उठाया। उन्होंने आगे बताया कि पूर्व में विद्ययुत नियामक आयोग की ओर से अनुमोदित रोल आउट प्लान के तहत स्मार्ट मीटर की परियोजना एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड ने टेक्निकल पैरामीटर के खिलाफ काम करने पर यह योजना पूरी तरह फ्लाप साबित हुई है। जिसका खामियाजा पुरानी तकनीक के स्मार्ट मीटर वाले 12 लाख विद्युत उपभोक्ता भुगत रहे हैं।
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का भी उत्तर प्रदेश में फ्लाप होना तय है, क्योंकि बिजली कंपनियों में कुछ अभियंता उद्योगपतियों के पक्ष में चीनी कंपोनेंट के आधार पर जीटीपी अनुमोदित कर रहे हैं। भारत सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि बॉर्डर वाले देशों से कोई भी कंपोनेंट बिना भारत सरकार की अनुमति के खरीद नहीं जा सकता है। बावजूद इसके चीन से बिना सरकार की अनुमति के चीनी कंपोनेंट को खरीदने का अनुमोदन क्यों दिया गया। भारत सरकार के गाइडलाइन के अनुसार 60 प्रतिशत कंपोनेंट स्मार्ट प्रीपेड मीटर के अंदर भारतीय होना चाहिए। फिर भी 50 प्रतिशत चीनी कॉम्पोनेंट के लिए अनुमोदन किए गए हैं। उन सभी लोगो पर जांच कराकर दोषी लोगो के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है।