नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल का चार साल पहले अपहरण कराने, पिस्टल सटाकर रंगदारी मांगने, गालियां व धमकी देने के आरोपी पूर्व सांसद धनंजय सिंह को 7 साल की सजा सुनाई गई है। ऐसे में वे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।
उत्तर प्रदेश के जौनपुर ज़िले के पूर्व सांसद धनंजय सिंह व संतोष विक्रम को इन धाराओं में हुई सजा:
1-364 भारतीय दण्ड संहिता अपहरण के मामले में आजीवन कारावास या 10 वर्ष के लिए कठोर कारावास और जुर्माना।
2-386 भारतीय दंड संहिता रंगदारी मांगने के आरोप में 10 वर्ष व जुर्माना
3-120-बी भारतीय दंड संहिता षड़यंत्र में जिस प्रकार के अपराध के लिए लगा है षड्यंत्र ही दंड होगा।
4-504 भारतीय दंड संहिता में दो वर्ष कारावास या जुर्माना या दोनों हो सकता है।
5-506 भारतीय दंड संहिता में अधिकतम सात वर्ष व न्यूनतम दो वर्ष की सजा व जुर्माना दोनों हो सकता है।
बाहुबली पूर्व सांसद से जुडी हुई एक पुरानी कहानी: उत्तर प्रदेश में कल बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह की गिरफ़्तारी के बाद से ही प्रदेश की राजनीति में कई तरह की चर्चा हो रही है उन सभी चर्चाओं के बीच एक पुरानी कहानी धनंजय सिंह से जुड़ी हुई है यह कहानी बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह के फ़र्ज़ी एनकाउंटर से जुड़ी हुई है: धनंजय सिंह के फर्जी एनकाउंटर वाले इस किस्से का जिक्र इसलिए हो रहा है, क्योंकि जिस UP पुलिस की उस एनकाउंटर में किरकिरी हुई थी, अब अपहरण और रंगदारी मामले में कोर्ट के आदेश के बाद वही UP पुलिस धनंजय सिंह पर शिकंजा कस चुकी है. फर्जी एनकांउटर की ये कहानी 17 अक्टूबर 1998 की है. भदोही जिले की पुलिस को एक खुफिया जानकारी मिली.
बताया गया कि भदोही-मिर्जापुर बॉर्डर पर कुछ लोग पेट्रोल पंप लूटने वाले हैं. पुलिस की टीम वहां पहले पहुंच गई. पेट्रोल पंप के आसपास पुलिस ने घेराबंदी कर दी. बदमाशों की टीम पहुंचते ही पुलिस ने फायरिंग कर दी. इस एनकाउंटर में चार लोग मारे गए. पुलिस ने दावा किया कि इस मुठभेड़ में धनंजय सिंह भी मारे गए हैं. उन दिनों धनंजय सिंह पर 50 हजार रुपए का इनाम था. ये इनाम उन पर लखनऊ पुलिस ने रखा था.
पुलिस ने रखा था 50 हजार का इनाम: बात साल 1997 की है. लखनऊ में अंबेडकर पार्क बन रहा था. तब मायावती यूपी की मुख्यमंत्री थीं. धनंजय सिंह लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्र नेता थे. पार्क के पास ही एक इंजीनियर की हत्या हो गई. हत्या का आरोप देवरिया के रहने वाले बदमाश राजू पहाड़ी पर लगा. इसी केस में धनंजय सिंह भी आरोपी बनाए गए. उन दिनों शैलजा कांत मिश्रा लखनऊ के SSP हुआ करते थे. उनके आदेश पर धनंजय सिंह पर 50 हजार का इनाम रखा गया.
कैसे खुली धनंजय सिंह के फर्जी एनकांउटर की पोल ?? भदोही में धनंजय सिंह के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के दावे के दिन ही कहानी में नया मोड़ आ गया. भदोही के ही एक व्यक्ति ने वहां के SP से शिकायत कर दी. इस शिकायत में कहा गया कि जिसे धनंजय सिंह बताया गया है, वो उनका भतीजा है. ये खबर जंगल में आग की तरह फैल गई. शहर में पुलिस के खिलाफ धरना-प्रदर्शन शुरू हो गया. तीन दिनों तक विरोध होता रहा. कई मानवाधिकार संगठन भी विरोध में आ गए. बात लखनऊ तक पहुंची. फिर UP सरकार ने इस मामले की जांच CB-CID को सौंप दी. आरोपी पुलिसवालों पर केस दर्ज हुआ.
एनकांउटर में मारने का दावा, धनंजय सिंह पहुंच गए कोर्ट: एक और तारीख ने UP पुलिस की पोल खोल दी. जिस व्यक्ति को एनकांउटर में मारने का दावा किया गया, वो एक दिन अदालत पहुंच गया. तारीख थी 11 जनवरी 1999. बाहुबली धनंजय सिंह उस दिन कोर्ट सरेंडर करने पहुंच गए. कथित पुलिस मुठभेड़ के बाद से ही वो अंडर ग्राउंड हो गए थे. धनंजय सिंह अपराध की दुनिया से निकलकर अब पॉलिटिक्स में किस्मत आजमाना चाहते थे. इसीलिए उन्होंने सरेंडर करने का रास्ता चुना. महीनों तक वे जेल में रहे. फिर वो निर्दलीय ही 2002 में चुनाव लड़ कर विधायक बन गए।
Yogesh Kumar (Editor, The Netizen News)