सपा सरकार में भाजपाइयों समेत समेत 460 लोगों पर दर्ज हुए संगीन धाराओं में मुकदमों को लोकसभा चुनाव से पहले वापस लेने की तैयारी शुरू हो गई है। सांसद संतोष गंगवार समेत प्रदेश सरकार के कई मंत्रियों ने मुकदमे की वापसी के लिए प्रस्ताव प्रमुख सचिव गृह को सौंपा था। इस मामले में अब डीएम, एसएसपी से आख्या लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज दी गई है।
दरअसल, जिले में दो मामलों में भाजपाइयों समेत 460 लोगों पर मुकदमे दर्ज कराये गए थे। पहला मामला 1998 का है, जिसमें फतेहगंज पश्चिमी में बिजली समस्या को लेकर भाजपाइयों ने सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन किया था।
इस मामले में भाजपा नेताओं समेत करीब 400 लोगों पर पुलिस ने 7-सीएलए एक्ट समेत कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया था। दूसरा मामला 2015 का है। नगर क्षेत्र में माली की बगिया स्थित काली मंदिर में मूर्ति को खंडित कर गोवंश डाल दिया गया था। इसको लेकर धरना प्रदर्शन कर विरोध जताया था। इसमें कई भाजपा नेताओं समेत 60 लोगों को नामजद किया गया था।
प्रदेश में 2017 में भाजपा की सरकार बनने के बाद से दोनों मामलों में दर्ज मुकदमों की वापसी के लिए कवायदें चल रहीं थीं। भाजपा नेता व युवा अंतर्राष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन के जिलाध्यक्ष आशीष अग्रवाल सांसद संतोष गंगवार के जरिए कैबिनेट मंत्री नंदीगोपाल गुप्ता, पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह।
व्यवसायिक शिक्षा मंत्री कपिल देव अग्रवाल, पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह, आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल, वन मंत्री डॉ. अरुण सक्सेना, विधायक डीसी वर्मा, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर प्रयास कर रहे थे। इस बाबत प्रमुख सचिव गृह को प्रस्ताव सौंपा गया था।
इसके बाद डीएम और एसएसपी समेत सभी उच्चाधिकारियों से प्रमुख सचिव न्याय ने आख्या तलब की। अधिकारियों की आख्या को मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दिया गया है।
गुरुवार को यह मामला मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के जनता दरबार में भी उठाया गया। इस दौरान आशीष अग्रवाल, राम गुप्ता, महेंद्र शर्मा, शशांक अग्रवाल, अमोद सिंह, सनी सिंह आदि भाजपा नेता मौजूद रहे।