हमीरपुर। बुन्देलखंड की वीरभूमि महोबा में हजारों साल पुराने सूर्य मंदिर को विश्व के मानचित्र पर लाए जाने की मांग फिर से शुरू हो गई है। बिना सरिया और सीमेंट से बना यह मंदिर कोर्णाक के सूर्य मंदिर से भी बहुत पुराना है जिसे क्रूर कुतुबुद्दीन ऐबक भी तहस-नहस नहीं करा पाए थे। ग्रेनाइट पत्थरों से ही बना यह मंदिर हजारों साल बीतने के बाद भी ये मजबूती से आज भी खड़ा है।
बुन्देलखंड का महोबा ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है। ये कभी हमीरपुर जिले की एक तहसील होती थी लेकिन वर्ष तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की सरकार ने महोबा को पृथक जिला बना दिया था। जिला बनने के बाद महोबा क्षेत्र का तेजी से विकास हुआ। पिछले तीन दशक पूर्व पिछड़े महोबा की तस्वीर ही बदल गई है। बुंदेलखंड में कई ऐतिहासिक और धार्मिक विरासतें मौजूद हैं। सदियों पुराने कई मंदिर आज भी अपनी छाप छोड़े हुए हैं। ऐसे ही एक ऐतिहासिक विरासत सूर्य मंदिर मुख्यालय से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर रहेलिया गांव में स्थित है। सूर्य मंदिर का निर्माण चंदेल राजा राहिल देव वर्मन ने 890 से 910 ई के मध्य कराया था। यह मंदिर नागर शैली में बनाया गया है। सीमेंट और गारा का प्रयोग के बिना ही मंदिर का निर्माण कराया गया है। सूर्य मंदिर से कुछ दूरी पर सूर्य कुंड का निर्माण कराया गया था। बताया जाता है कि सूर्य कुंड का पानी कभी नहीं सूखता है।
बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर ने बताया कि वह सूर्य मंदिर को विश्व धरोहर की सूची में शामिल करने के लिए लगातार मांग कर रहे हैं। प्रशासन से अपील की जा रही है कि यूनेस्को प्रस्ताव भेजकर सूर्य मंदिर को विश्व धरोहर की सूची में शामिल कराया जाए। जिससे बुंदेलखंड के इस जनपद को पर्यटन हब के रूप में विकसित करने में मदद मिलेगी और वीर भूमि में रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ेगीं।
जिलाधिकारी मनोज कुमार ने सूर्य मंदिर को संवारने के लिए प्रयास किया, जिसके क्रम में सूर्य मंदिर में सुंदर लाइटिंग कराई गई और मंदिर तक पहुंचने के लिए सड़क का निर्माण और लाइटिंग ट्री का निर्माण भी कराया गया है। जिससे सूर्य मंदिर में पर्यटकों की संख्या में इजाफा हो रहा है।