उत्तर प्रदेश सरकार ने बीते दिनों गन्ने के मूल्य में 20 रुपये की बढ़ोतरी की। इस बीच हुए प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में किसान की आवाज दबी रह गई। लेकिन, कार्यक्रम बीतने के बाद जिले के किसानों की आवाज भी मुखर होने लगी। उनका कहना है कि महज 20 रुपये की बढ़ोतरी किसानों के साथ मजाक है, सरकार किसानों की आय दोगुना करने का वादा करती है, लेकिन उन्हें फसल का उचित मूल्य तक नहीं मिल पाता।
किसानों ने कहा कि गन्ने की खेती में लागत ज्यादा व आय कम है। उन्होंने बताया कि गन्ने की छिलाई के लिए प्रति क्विंटल 70 रुपये व सेंटर तक पहुंचाने के लिए 30-40 रुपये प्रति क्विंटल खर्च आता है। इसके अलावा बीज, खाद, पानी, दवा आदि का खर्च अलग है।
छुट्टा पशु, बंदर आदि जानवर भी फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब की तरह गन्ने का दाम यहां भी 400 रुपये किया जाना चाहिए। कहा कि लगातार बढ़ रही महंगाई से किसानों के सामने घर खर्च निकालना मुश्किल होता जा रहा है। ऐसे में किसानों को बैंकों से कर्ज लेना पड़ता है। इस महंगाई में परिवार का पालन पोषण करना बहुत ही मुश्किल हो गया है।
वैसे तो भाजपा सरकार किसानों की आय दोगुना करने की बात करती है। लेकिन, धरातल पर स्थितियां इसके बिल्कुल विपरीत होती जा रही हैं। सरकार ने गन्ने के दामों में और बढ़ोतरी नहीं की, तो किसान आंदोलन करेंगे।– यशपाल सिंह, किसान नेता
गन्ना तौल के आधा सीजन बीत जाने के बाद सरकार ने दाम घोषित किए हैं। अगर इन्हें इतने कम दामों पर ही गन्ना खरीदना था तो किसानों को आधा सीजन अंधेरे में क्यों रखा। किसानों को गन्ना मूल्य 400 रुपये प्रति क्विंटल चाहिए। -सतीश विश्वोई, किसान नेता
गन्ने के दामों में 20 रुपये बढ़ोतरी से हम सहमत नहीं हैं। सरकार की कम से कम 50 रुपये बढ़ाने चाहिए। इस महंगाई में घर चलाना काफी मुश्किल हो गया है। यह किसानों के साथ नाइंसाफी है। -पुत्तन हाजी, किसान
सरकार सही दाम नहीं देगी तो खेती से किसानों का मोहभंग होना तय है। गन्ना उगाने से लेकर सेंटर तक पहुंचाने में अत्याधिक लागत आती है। ऐसे में किसान अपने परिवार का पालन पोषण कैसे करेगा। -चरन सिंह, किसान