अयोध्या में भव्य-नव्य मंदिर में भगवान रामलला सोमवार को विराजमान हो गए। जब प्राण प्रतिष्ठा के बाद गर्भगृह से रामलला की पहली झलक सामने आई तो श्रद्धालु उसे देखते ही रह गए। सिर पर मुकुट, शरीर पर दिव्य आभूषण और पीतांबर वस्त्र थे। पुराणों में वर्णन के अनुसार रामलला का स्वरूप लाने के लिए काफी बारीकियों का ध्यान रखा गया था।
वहीं रामलला ने जो 16 आभूषण धारण किए हैं, उन्हें बरेली के हर सहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स ने तैयार किए हैं। जिनमें मुकुट, छोटा हार, विजय माला, अंगूठी, बाजू-बंध, कड़े, पायल, तिलक, धनुष, तीर आदि शामिल हैं।
प्रभु का बाल स्वरूप ध्यान रखते हुए बनने थे आभूषण
हर सहायमल श्यामलाल ज्वैलरी शोरूम के डायरेक्टर मोहित आनंद ने अमृत विचार से खास बातचीत में बताया कि उन्हें 2 जनवरी को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने फोन किया था। जब उनके कहने पर वह अयोध्या पहुंचे तो उन्हें रामलला के आभूषण बनाने के लिए कहा गया। जिसकी उन्हें काफी प्रसन्नता हुई कि रामलला ने हमें इस कार्य के लिए चुना, जो किसी चमत्कार से कम नहीं था। साथ ही ट्रस्ट ने प्रभु राम के बाल स्वरूप ध्यान रखते हुए ही आभूषण बनाने को कहा था।

70 सदस्यीय टीम ने लगातार काम करके बनाए आभूषण
डायरेक्टर मोहित आनंद ने बताया कि ऑर्डर मिलते ही वह तैयारी में लग गया और अगले ही दिन लखनऊ ब्रांच के डायरेक्टर अंकुर आनंद को अयोध्या भेज दिया। इसके साथ ही सूर्यवंशी राजघराने के बालक के आभूषण बनाने के लिए उनकी टीम ने रिसर्च शुरू कर दी। जिसमें गूगल की मदद से कई फोटो तलाशे और रामायण आदि को देखकर टीम ने रामलला के आभूषणों के डिजाइन को फाइनल किया।

जिसके बाद हर सहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स की 70 सदस्यीय टीम ने लगातार काम करके 16 जनवरी को सभी 16 आभूषण तैयार कर दिए। जिनमें विजय माला, छोटा हार, मुकुट, अंगूठी, कड़े, पायल, तिलक, बाजू-बंध, धनुष और तीर आदि शामिल हैं। फिर इन आभूषणों को 16 जनवरी की शाम को ही अयोध्या पहुंचकर ट्रस्ट को सौंप दिए।
आभूषणों के लिए ट्रस्ट ने कराया सोना उपलब्ध
डायरेक्टर मोहित आनंद ने बताया कि रामलला के आभूषणों के लिए ट्रस्ट की ओर से सोना उपलब्ध कराया गया था। जिसमें से विजय माला में दो किलो और मुकुट में एक किलो 700 ग्राम सोना लगाया गया है। जबकि अन्य आभूषण का वजन इनसे कम है। उन्होंने बताया कि रामलला के स्वर्ण मुकुट पर सूर्य चिह्न है और उसके ऊपर बड़े आकार का पन्ना उनके वैभव को प्रदर्शत रहा है। वहीं प्रभु राम के बाल स्वरूप को निखारने के लिए मुकुट के दोनों ओर पंख बनाए गए हैं। इसके अलावा स्वर्ण मुकुट पर उत्तर प्रदेश का प्रतीक चिह्न मछली और राष्ट्रीय पक्षी मोर भी बनाया गया है।

‘रामलला के आभूषण बनाने का ऑर्डर मिलना चमत्कार’
वहीं विजय माला दो किलो से ज्यादा सोने से बना है, वो पांच फीट लंबा है। जिसके अलग-अलग हिस्से बना जोड़ा गया है। वहीं प्रभु रामलला के तिलक पर कई तरह के हीरे लगाए गए हैं।

साथ ही उन्होंने बताया कि हमारा परिवार 130 सालों से आभूषण बनाने के कार्य में लगा हुआ है। लेकिन भगवान रामलाल के आभूषण बनाकर वे अपने आप को धन्य मान मानने के साथ इसे चमत्कार ही मान रहे हैं।