मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हम श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठता समारोह का श्रेय नहीं ले रहे हैं। हम तो वहां सेवक बनकर जा रहे हैं। मंदिर का आमंत्रण कांग्रेस, समाजवादी पार्टी समेत सबको मिला है। उन्हें राम मंदिर में आने से किसी ने रोका नहीं है। वो राम के सेवक बनकर आएं, जो राम का सेवक बनकर आएगा, उसका स्वागत है।
राम मंदिर आंदोलन में हम सब बहुत पहले से जुड़े हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राम मंदिर आंदोलन की वजह से वह संन्यासी हैं। सीएम योगी ने बुधवार को एक निजी होटल में एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में इस बात का खुलासा किया।
सीएम ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि उनके पूज्य गुरुदेव राम मंदिर के आंदोलन के अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं में से एक थे। उस कालखंड में भी उनके मन में इस आंदोलन का नेतृत्व था और गोरखपीठ उनके साथ थी।
सीएम योगी ने कहा कि उनके गुरु, आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में ये आंदोलन आगे बढ़ा था। अब रामलला प्रकट हो रहे हैं, इससे ज्यादा उत्साह की बात और क्या हो सकती है।
सीएम योगी ने कहा कि हम लोग रामभक्त और राम के सेवक के रूप में मंदिर में मौजूद रहेंगे। हमें सौभाग्य मिला है कि हम रामकाज में सहभागी बन गए हैं।
जिस काम को दर्जनों पीढ़ियां नहीं देख पाईं, वो समय 500 साल बाद आया है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर के लिए 3 लाख से ज्यादा लोग शहीद हुए और 76 से ज्यादा बार संघर्ष हुआ। राम मंदिर आंदोलन से जुड़े लोग गोरखपीठ आते रहते थे।
आज परिणाम के रूप में राम मंदिर सबके सामने है। मेरे गुरु और दादा गुरु इस आंदोलन में शामिल रहे। अब मैं इस ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनूंगा, ये मेरा सौभाग्य है।
सीएम योगी ने कहा कि एक बार फिर रामलला और राम राज्य की अवधारणा सिद्ध हो रही है। राम मंदिर का काम कठिन था। लेकिन ये प्रभु की पहले से रची हुई कृपा है। हम सब उस अभियान के हिस्से हैं। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य असंभव था अगर केंद्र में मोदी सरकार नहीं होती।
अब पूरे देश को रामलला के दर्शन करने के लिए मिलेंगे। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी और अन्य पार्टियों के चरित्र को जनता जानती है। सीएम योगी ने बताया कि अगर वह सीएम नहीं होते तो भी राम मंदिर आंदोलन में जुड़े होते और सबसे पीछे की कुर्सी पर बैठकर भी गौरवान्वित होते। उन्होंने कहा कि ये समय श्रेय लेने का नहीं है। राम तो परम पिता परमेश्वर हैं।