छह साल बाद भी जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) को लेकर व्यापारियों की परेशानियां कम नहीं हो रही हैं। छह साल पुराने रिटर्न के संबंध में भेजे जा रहे नोटिस दो हजार से अधिक व्यापारियों के लिए सिरदर्द बन गए हैं।
व्यापारियों से टैक्स के साथ छह वर्ष का 18 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज भी मांगा जा रहा है। विभाग के अफसर भी व्यापारियों की समस्या दूर नहीं कर पा रहे हैं। वे मुख्यालय से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस साफ्टवेयर के जरिए गड़बड़ी पकड़े जाने पर नोटिस जारी करने की बात कह रहे हैं। दो दिन पहले उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष मुकुंद मिश्रा ने इस मामले को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के सामने उठाया था।
इस वजह से आई दिक्कत
किसी व्यापारी ने 10 लाख रुपये का माल 18 प्रतिशत टैक्स के साथ खरीदा। नियमानुसार उसने 1.80 टैक्स का आइटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) क्लेम कर लिया। जिस व्यक्ति ने माल बेचा था, उसने सप्लाई को व्यापारी से व्यापारी लेनदेन में न दिखाकर व्यापारी और ग्राहक के बीच दिखा दिया।
अब जब माल खरीदने वाले के पास नोटिस आया कि उसके रिटर्न के उक्त खरीद का ब्योरा नहीं आ रहा है। इसलिए वह 1.80 लाख रुपये और उस पर ब्याज जो लगभग इतना ही बैठ रहा है, तत्काल जमा करें। कुछ इसी तरह के नोटिस व्यापारियों को भेजे गए हैं।
व्यापारी दफ्तर के काट रहे चक्कर
नोटिस मिलने पर तमाम व्यापारी जीएसटी विभाग के कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। इस भागदौड़ के चलते उनका कारोबार प्रभावित हो रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी छोटे व्यापारियों को हो रही है।
जब जीएसटी लागू हुआ था उस समय की छोटी-छोटी गलितयों पर छह साल बाद नोटिस भेजना गलत है। अधिकारियों को इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।-मनोज मंगल, वरिष्ठ सीए
दो दिन पहले प्रांतीय अधिवेशन में अध्यक्ष मुकुंद मिश्रा ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के समक्ष इस समस्या को रखा था। अफसरों से भी बात की गई है, उम्मीद है कि जल्द समस्या दूर होगी।-राजेंद्र गुप्ता, प्रांतीय महामंत्री, उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल
छह साल बाद एक जुलाई 2017 से 31 मार्च 2018 के बीच के रिटर्न को लेकर व्यापारियों को नोटिस भेजे जा रहे हैं। स्थानीय अफसर भी इस समस्या का निदान नहीं करा पा रहे हैं।-अनिल अग्रवाल, जिलाध्यक्ष, संयुक्त व्यापार मंडल
नोटिस कंप्यूटर जनित हैं। व्यापारियों के दाखिल रिटर्न की जांच के लिए लखनऊ में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस साफ्टवेयर काम कर रहा है। जिन व्यापारियों के लेनदेन में अंतर मिला है, उन्हें ही नोटिस जारी किए गए हैं। व्यापारी अगर उचित साक्ष्य उपलब्ध कराएंगे तो नियमानुसार समाधान किया जाएगा।