मुरादाबाद :जिला सत्र न्यायाधीश तृतीय सरोज कुमार यादव की कोर्ट ने एक परिवार में चार लोगों की हत्या के मामले में सोमवार रात अंतिम सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित कर लिया है। अंतिम सुनवाई में कुल आरोपित 13 लोगों में से कोर्ट ने चार अभियुक्तों को दोषी भी माना है। फैसला सुनाने के लिए न्यायाधीश ने 21 दिसंबर की तारीख तय की है।
मामला संभल जिले के थाना कुढ़ फतेहगढ़ क्षेत्र के गांव छाबड़ा का है। यहां 9 नवंबर 2016 को ग्राम प्रधान के चुनाव में पराजित पक्ष ने घर में घुसकर एक ही परिवार के चार सदस्यों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। माता-पिता और दोनों भाइयों की हत्या की दोनों बहनें प्रत्यक्षदर्शी थीं। इस मामले में रुचि राठौर ने थाने में 13 लोगों के विरुद्ध नामजद एफआईआर दर्ज कराई थी।
अपर जिला शासकीय अधिवक्ता मुनीष भटनागर ने बताया कि घटना के दौरान रुचि व उसकी बहन सुरुचि भी घर में थीं। इस मामले में सोमवार रात 11 बजे कोर्ट ने अंतिम सुनवाई कर दोषसिद्ध अभियुक्तों के लिए कारावास की सजा और अर्थदंड पर सुरक्षित कर लिया है। अब अंतिम फैसला 21 दिसंबर को होना है। रात में सुनवाई के दौरान पीड़ित पक्ष की ओर से दोनों बहनें रुचि व सुरुचि और विपक्षी भी मौजूद थे। कोर्ट के बाहर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था।
अधिवक्ता ने बताया कि आरोपी पक्ष ने राइफल और बंदूक की गोली से रुचि व सुरुचि के पिता विशंभर, मां शकुंतला और भाई सुनील व सुशील की गोली मारकर हत्या कर दी थी। बहनों की गवाही के आधार पर सजा तय हुई है। इससे पहले मुकदमे के कुल सात साल में तमाम सुनवाई-दलील व गवाही हुई हैं।
नाबालिग समेत कुल 13 थे नामजद आरोपी
रुचि राठौर की तरफ से लिखाई गई रिपोर्ट में कुल 13 आरोपी नामजद हैं। इसमें 12 के विरुद्ध अपर जिला सत्र न्यायाधीश कोर्ट-3 में मुकदमा चल रहा है। इस कोर्ट से संबंधित मुकदमे में अभियुक्त गोविंदा, महेश, अमन, सुरेश, गुड्डू, प्रियंका, केपी सिंह उर्फ कृष्ण पाल सिंह, विपिन, डब्लू, पवन, दुष्यंत व तालेवर हैं। इनमें अभियुक्त गुड्डू उर्फ रामशरण और तालेवर की मृत्यु हो चुकी है। इसके अलावा एक नाबालिग भी आरोपित है, इसके विरुद्ध किशोर न्याय बोर्ड में मुकदमा चल रहा है।
न्यायालय ने इन्हें माना दोषी
अभियुक्त महेश, सुरेश, विपिन व कृष्ण पाल।
ये हो गए दोषमुक्त
अपर जिला शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि अदालत ने अभियुक्त गोविंदा, दुष्यंत, अमन, प्रियंका, विपिन पुत्र सतीश, आलोक कुमार को साक्ष्य के अभाव में दोष मुक्त कर दिया है।