बिजली विभाग में पावर कार्पोरेशन प्रबन्धन द्वारा वर्ष 2000 से आउटसोर्सिंग के माध्यम से कर्मचारियों की तैनाती कर बिजली लाइनों का अनुरक्षण और विद्युत सब स्टेशनों का परिचालन का कार्य कराया जा रहा है। जिन्हें वेतन के रूप में आठ हजार से 10 हजार का भुगतान किया जा रहा है।
इस मामले में आउटसोर्सिंग कर्मियों के संघ द्वारा पिछले कई वर्षों से यह मांग की जा रही है कि आउटसोर्सिंग के माध्यम से कार्य कर रहे कर्मचारियों का कार्य के अनुरूप अनुबन्ध किया जाए।
वहीं वेतन 18 हजार रुपए निर्धारित कर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा समय-समय पर दिये जाने वाले हित लाभातों को दिया जाये, दुर्घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाया जाये, ईपीएफ घोटाले की जांच कराई जाये। लेकिन पॉवर कार्पोरेशन प्रबन्धन द्वारा संज्ञान नहीं लिया गया बल्कि आन्दोलन के नाम पर लगभग 3200 तथा संविदा उपकेन्द्र परिचालक सहायक के नाम पर लगभग 3500 कर्मचारियों को कार्य से हटा दिया गया।
वहीं वर्तमान समय में पावर कार्पोरेशन प्रबन्धन द्वारा पिछले 10 वर्षों से अधिक समय से कार्य कर रहे प्रशिक्षित व अनुभवी संविदा उपकेन्द्र परिचालकों को कार्य से हटाकर 10 हजार रुपए वेतन दिया जाता है। वहीं उनके स्थान पर पूर्व सैनिक कल्याण निगम से कर्मचारियों को तैनात करने का आदेश निर्गत किया गया है (जिनका अनुबन्ध लगभग रू0 30,000/- का किया जा रहा है) जिससे लगभग 12000-15000 कर्मचारियों के बेरोज़गार होने की प्रबल संभावना है।
वहीं कर्मियों की ये भी मांग है कि समस्त परिचालन स्टाफ ने कोरोना काल में अपनी जान की परवाह ना करते हुए समस्त उपभोक्ता को निरंतर बिजली आपूर्ति देने का कार्य किया है कई कर्मचारी तो कोरोना काल में खत्म भी हो गए लेकिन विभाग द्वारा सबको नजरअंदाज करते हुए समस्त परिचालन स्टाफ को उनके कार्य से हटाकर बेरोजगार किया जा रहा है। जो सरासर गलत है। वह ज्ञापन के माध्यम से मांग करते हैं उन्हें 18 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन देने के साथ उनका उत्पीड़न बंद किया जाए।