जिला मुख्यालय में डेढ़ सौ साल पुरानी जीआईसी की इमारत, जो अब जर्जर हो गई है। इसे गिराकर नए निर्माण की मांग लगातार तेज होती जा रही है। इसकी शुरुआत ‘बुंदेलखंड न्यूज’ ने कोरोना कल में की थी। इसके बाद विद्यार्थी परिषद और अब कई सामाजिक संगठन इस बिल्डिंग को गिराकर नए निर्माण की मांग कर रहे हैं। शुक्रवार को बुंदेलखंड राज्य निर्माण संघर्ष समिति के तत्वाधान में जिला अधिकारी के माध्यम से सूबे के मुख्यमंत्री को मांग पत्र भेजा गया है।
बुंदेलखंड राज्य निर्माण समिति के संयोजक रमेश चंद्र दुबे के नेतृत्व में शुक्रवार को विभिन्न संगठनों ने मुख्यमंत्री को संबोधित मांग पत्र प्रेषित किया। जिसमें कहा गया है कि शहर में स्थित राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज का ऐतिहासिक महत्व है। जीआईसी बांदा का निर्माण 1874 में हुआ था। यह बुंदेलखंड का पहला जूनियर हाई स्कूल है। जिसका निर्माण हुए 150 वर्ष लगभग पूरे हो चुके हैं। जीआईसी कॉलेज से अनेक आईएएस आईपीएस पढ़कर निकले हैं व इसी कॉलेज में पढ़ने वाले कई राजनेता भी शामिल हैं। जिसमें उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री स्व. जमुना प्रसाद बोस भी शामिल हैं। इसी तरह उच्च न्यायालय के जज वीरेंद्र सिंह चौधरी तथा राजा रमाकांत त्रिवेदी भी जीआईसी कॉलेज के छात्र रह चुके हैं।
वर्तमान समय में कॉलेज की पूरी बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है। इसी जर्जर बिल्डिंग में छात्र पढ़ने को मजबूर हैं, जिसमें कभी भी हादसा हो सकता है। इस कॉलेज में कक्षा 6 से लेकर 12 तक की कक्षाएं लगती हैं। छात्र जान हथेली पर लेकर कॉलेज में पढ़ने आते हैं। कोरोना काल के दौरान उक्त भवन की एक कमरे की छत भी गिर चुकी है। उस समय कॉलेज बंद था, जिससे किसी तरह की कोई अनहोनी घटित नहीं हुई। इन परिस्थितियों को देखते हुए इस ऐतिहासिक कॉलेज के जर्जर भवन को गिरवाकर नए भवन को बनवाया जाए,क्योंकि जीआईसी कॉलेज से बांदा के साथ बुंदेलखंड क्षेत्र की भावना और इतिहास जुड़ा है, जिसको सुरक्षित रखना हम सभी का कर्तव्य है।