अतिप्राचीन गौरी घाट में स्थिति गुरु जी के समाधि स्थल पर पर भंडारे का आयोजन संपन्न हुआ जिसमे कि महान तपस्वी संतो ने पहुंच कर गुरू जी की समाधि को नमन किया हवन पूजन विधि विधान से संपन्न होने के बाद अखंड सुंदर काण्ड का पाठ किया गया। भंडारे में सैकड़ों बच्चों, बुजुर्गो, कन्याओं ने भोजन प्रसाद ग्रहण किया।
महंत विंध्यवासनी दास महराज ने बताया कि यह स्थान सतीयुगी समय से है जहां कि माता पार्वती ने शिव को प्राप्त करने हेतु घोर तपस्या की थी कुछ ही दूरी पर मां विंध्यवासनी अति प्राचीन मन्दिर है जिसमे कि मां साक्षात रुप में विराजमान हैं। लोगो का मानना है कि कि जो लोग सच्ची श्रद्धा से यहां पर आकर जो भी मांगता है उसकी मनोकामना जरूर पूर्ण होती है।