चीनी को आज सेहत का सब से बड़ा दुश्मन माना जाता है। डाइटिशियन से लेकर डॉक्टर तक, सभी आप को चीनी कम से कम खाने की सलाह देते हैं। सेहत के प्रति सतर्क यार-दोस्त मीठे से परहेज़ का मशविरा देने से नहीं चूकते। पिछले पांच सालों में हुए तमाम रिसर्च का निचोड़ ये है कि रोज़ाना 150 ग्राम से ज़्यादा फ्रक्टोज़ (चीनी का एक रूप) लेने से इंसुलिन नाम के हारमोन का असर कम होने लगता है।
इससे आप की सेहत पर बुरे असर जैसे ब्लड प्रेशर और और कोलेस्ट्रॉल बढने लगते हैं। लेकिन, रिसर्च ये भी बताते हैं कि ऐसा तभी होता है, जब आप अपने शरीर की ज़रूरत से ज़्यादा कैलोरी लेते हैं। यानी सिर्फ़ शुगर से आप की सेहत पर बुरा असर नहीं पड़ता। बल्कि, इसकी वजह से आप जो ज़्यादा कैलोरी ले लेते हैं, उसका बुरा असर सेहत पर पड़ता है।
चीनी ही नहीं, सामान्य कार्बोहाइड्रेट जैसे चावल या आटा भी चीनी के कणों से ही बने होते हैं। जब खाना हमारे शरीर में जाता है, तो हमारी आंतें इन्हें तोड़ कर उनमें से ग्लूकोज़ निकालती हैं। इस ग्लूकोज़ को हमारे शरीर की सभी कोशिकाएं इस्तेमाल करती हैं। सब्ज़ियों और अनाज में भी चीनी इसी रूप में मिली होती है। चीनी के कई क़ुदरती रूप होते हैं। जैसे फलों में पाया जाने वाला फ्रक्टोज़, दूध में मिलने वाला लैक्टोज़ और दूसरी मीठी चीज़ों में डला हुआ ग्लूकोज़।
2018 में हुई एक स्टडी के मुताबिक, अधिक चीनी खाने से मुंहासों की समस्या काफी अधिक बढ़ जाती है। 2008 में हुई स्टडी के मुताबिक, अधिक चीनी खाने से मोटापा बढ़ सकता है और डायबिटीज का जोखिम भी बढ़ सकता है। इसके अलावा कार्डियोवैस्कुलर डिसीज, हाई ब्लड प्रेशर और कैंसर का भी खतरा बढ़ जाता है। इसलिए अगर आपका शरीर भी दे रहा ऐसे इशारे तो समझ जाइए आप जरूरत से ज्यादा चीनी खा रहे हैं।
समय से पहले बुढ़ापा दिखना
हमारा शरीर को ऊर्जा के लिए ग्लूकोज की जरूरत होती है। हमारा शरीर सुक्रोज यानी चीनी ग्लूकोज और फ्रक्टोज दो तरह की शुगर से मिलकर बनता है। ग्लूकोज पचाने में तो हमारे शरीर को कोई दिक्कत नहीं होती। लेकिन सुक्रोज पचाने के लिए लिवर को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। यहां तक कि ज्यादा सुक्रोज ली जाए तो ये फैटी लिवर का भी कारण बन सकता है। हमारा शरीर ज्यादा चीनी खाने से ‘एडवांस ग्लाइकोजन एंड प्रोडक्ट्स’ नाम के केमिकल बनता है। जो समय से पहले हमारे शरीर में बुढ़ापे के लक्षण दिखा सकता है।
डल टेस्ट बड्स
जब हम चीनी खाते हैं तो हमारे दिमाग से डोपामाइन नाम का एक हाॅर्मोन निकलता है। जो हमें खुशी का एहसास देता है। सिगरेट के कश लेने पर भी यही हाॅर्मोन रिलीज होता है। यही कारण है कि स्मोकिंग से लोगों को आनंद का अनुभव होता है। और बार-बार इसी आनंद को पाने की लत लग जाती है। ठीक इसी तरह चीनी से स्वाद के साथ आपको आनंद भी मिलता है लेकिन ये आनंद ज्यादा देर नहीं रहता। कुछ समय बाद फिर मीठा खाने की इच्छा होती है। इसलिए बार-बार मीठे की क्रेविंग भी एक संकेत हो सकती है कि आप जरूरत से ज्यादा मीठा खा रहे हैं।
मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
आर्थराइटिस फाउंडेशन के अनुसार डायबिटीज के लगभग आधे मरीजों को आर्थराइटिस यानी जोड़ों में दर्द की भी समस्या होती है। डॉ. नवनीत बताते हैं कि ज्यादा शुगर मांसपेशियों और हाड़ियों को भी नुकसान पहुंचा सकती है। अगर किसी को कम उम्र में ही शरीर में दर्द रहता है, तो ये डाइट में ज्यादा शुगर होने की तरफ एक संकेत हो सकता है।
दांतों में कैविटी
करीब 100 साल पहले कैनेडियन डेंटिस्ट वेस्टन प्राइस ने एक किताब लिखी जिसका नाम था ‘न्यूट्रिशन एंड फिजिकल डीके’। किताब में वे कुछ ऐसी सभ्यताओं के बारे में बताते हैं जिनमें बिना किसी टूथब्रश और मॉडर्न डेंटल केयर के दांत एकदम दुरुस्त थे। इसका कारण उन लोगों की लो शुगर डाइट थी। मतलब हम समझ सकते हैं कि बिना चीनी की डाइट से लोगों के दांत सालों साल सुरक्षित रहते हैं।
पेट में ब्लोटिंग
मीठा हमें तो पसंद होता ही है ये हमारे पेट के अंदर के गट बैक्टीरिया को भी बहुत भाता है। हमारे पेट में दो तरह के बैक्टीरिया रहते हैं। एक तो अच्छे बैक्टीरिया और दूसरे बुरे बैक्टीरिया। अच्छे बैक्टीरिया पाचन सही रखने में मदद करते हैं। वहीं, बुरे बैक्टीरिया गैस और ब्लोटिंग की जड़ हो सकते हैं। खाने में ज्यादा चीनी इन बुरे बैक्टीरिया की चांदी होती है। ये इनके लिए दावत का काम करती है और इनके फलने-फूलने में मदद करती है। ब्लोटिंग या गैस की समस्या भी एक संकेत हो सकता है कि आप ज्यादा शक्कर खा रहे हैं।