गोरखपुर। सपा के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत बड़ी कार्रवाई की है। ED ने बाहुबली स्व. पंडित हरिशंकर तिवारी के बेटे और गोरखपुर के चिल्लुपार विधानसभा से पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी की करीब 73 करोड़ की संपत्तियां जब्त कर ली है। यह कार्रवाई विनय शंकर के साथ ही और उनके परिवार से जुड़ी कंपनी गंगोत्री इंटरप्राइजेज लिमिटेड पर हुई है। ED ने ये कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत की है।
बैंक की शिकायत पर CBI ने दर्ज की थी FIR
ED ने यह कार्रवाई विनय तिवारी की कंपनी गंगोत्री इंटरप्राइजेस लिमिटेड द्वारा बैंकों के कंसोर्टियम का करीब 1129.44 करोड़ रुपये हड़पने के मामले में की है। बैंकों की शिकायत पर CBI मुख्यालय ने केस दर्ज किया था, जिसके बाद ED ने भी विनय तिवारी समेत कंपनी के समस्त निदेशक, प्रमोटर और गारंटर के खिलाफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी।
7 बैंकों को 754.24 करोड़ नुकसान पहुंचाया
ED की जांच में सामने आया कि मेसर्स गंगोत्री एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने अपने प्रमोटरों, निदेशकों, गारंटरों के साथ मिलकर बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले सात बैंकों के कंसोर्टियम से 1129.44 करोड़ रुपये की क्रेडिट सुविधाओं का लाभ लिया था। बाद में इस रकम को उन्होंने अन्य कंपनियों में डायवर्ट कर दिया और बैंकों की रकम को वापस नहीं किया। इससे बैंकों के कंसोर्टियम को करीब 754.24 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। ED इस मामले की आगे जांच कर रही है।
दिल्ली में दर्ज हुई थी FIR
CBI ने इस मामले में विनय के साथ ही उनकी पत्नी रीता तिवारी और कंपनी के एक अन्य निदेशक अजीत पांडेय को नामजद करते हुए दिल्ली में 19 अक्टूबर 2020 को FIR दर्ज की थी। यह FIR बैंक आफ इंडिया की शिकायत पर दर्ज की गई थी। बैंक ने कंपनी को दिए गए 754 करोड़ रुपये के लोन में धोखाधड़ी का आरोप लगाया था।
जानिए कौन हैं पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी
विनय शंकर तिवारी बाहुबली कद्दावर पूर्व मंत्री स्व. हरिशंकर तिवारी के छोटे बेटे हैं। वे साल 2017 में बसपा के टिकट पर भी गोरखपुर की चिल्लूपार सीट से विधायक चुने गए। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी राजेश त्रिपाठी को हराया था। इससे पहले इनके पिता हरि शंकर तिवारी लगातार 22 साल इसी सीट से विधायक रहे थे।
उन्हें राजेश त्रिपाठी ने ही बसपा प्रत्याशी के रूप में हराया था। जबकि साल 1997 से लेकर 2007 तक वह लगातार प्रदेश सरकार में कैबिनेट में मंत्री भी रहे। पूर्वांचल में अपने राजनीतिक रसूख के कारण यह परिवार लगातार चर्चा में रहा है। गोरखपुर में तिवारी जी का हाता कभी राजनीति का केंद्र हुआ करता था। एक दौर था जब इस परिवार में कैबिनेट मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, सांसद, विधायक की कुर्सी रही थी।