छतरपुर। इन दिनों छतरपुर जिले का चुनावी माहौल अपने चरम पर है। नामांकन वापिस की अंतिम दिनांक तक विभिन्न विधानसभाओं में तमाम तरह की उठा-पटक और भगदड़ विभिन्न देखने को मिली, इसी बीच सबसे चर्चित मामला बिजावर विधानसभा में समाजवादी पार्टी से प्रत्याशी बनाई गईं पूर्व विधायक रेखा यादव के नामांकन वापिस लेने का रहा। हालांकि यह स्पष्ट तो नहीं है कि उन्होंने अपना नामंकन वापिस क्यों लिया लेकिन विधानसभा के जानकारों और भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक इसके पीछे की वजह रेखा यादव द्वारा किया गया करोड़ों रुपए का लेन-देन है। फिलहाल पिछले चार दिनों से बिजावर विधानसभा की जनता के मन में एक ही सवाल कौंध रहा है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जिसके कारण रेखा यादव को अपना नामांकन वापिस लेना पड़ा? लेकिन जो आरोप सामने आ रहे हैं उनके मुताबिक रेखा यादव ने बिजावर विधानसभा क्षेत्र के यादव समाज के मतों का सौदा 2 करोड़ रुपए में किया है और लेन-देन के बाद ही उन्होंने अपना नामांकन वापिस लिया है। अब देखना यह है कि यादव समाज के मतों का ठेका लेने वाली रेखा यादव को यहां का यादव समाज किस तरह से जवाब देता है।
पूरे घटनाक्रम की चर्चा करें तो हुआ ऐसा कि पहले रेखा यादव बिजावर सीट पर अपनी पार्टी भाजपा से टिकिट मांग रहीं थीं लेकिन जब इस सीट पर पार्टी ने राजेश शुक्ला बबलू को टिकिट दिया तो वे पार्टी से नाराज हो गईं और रातों-रात उन्होंने लखनऊ जाकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से न सिर्फ मुलाकात की बल्कि बिजावर सीट का टिकिट भी हासिल किया। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने उनके जनाधार और उनकी लोकप्रियता को ध्यान में रखकर इस सीट पर निर्धारित किए गए प्रत्याशी डॉ. मनोज यादव को बदलकर रेखा यादव को प्रत्याशी बनाया।
टिकिट लेकर वापिस बिजावर लौटीं रेखा यादव ने एक-दो दिन प्रचार प्रसार किया और इसके बाद विशाल रैली निकालकर तामझाम के साथ नामांकन दाखिल किया। लोगों ने यह मान भी लिया कि अब वे चुनाव के मैदान में उतर आई हैं लेकिन नामांकन वापिसी के आखिरी दिन अचानक खबर आई कि रेखा यादव ने अपना नामांकन वापिस ले लिया है। यह खबर बाहर आते ही संपूर्ण बिजावर विधानसभा सहित जिले के राजनैतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई।
अब बड़ा सवाल यह खड़ा हुआ कि इतनी मेहनत और मिन्नत के बाद हासिल समाजवादी पार्टी का टिकिट पाने के बावजूद अचानक ऐसा क्या हुआ, जो रेखा यादव ने चुनाव का मैदान छोड़ दिया। रेखा यादव के इस निर्णय के बाद जब स्थानीय सपा कार्यकर्ताओं से बात की गई तो उनका कहना था कि वे भी रेखा यादव के इस निर्णय से स्तब्ध हैं कि क्योंकि उन्होंने न सिर्फ पार्टी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ बल्कि स्थानीय समाजवादी नेताओं के साथ भी दगाबाजी की है।
वहीं दूसरी ओर अंदरखाने से जो खबरें सामने आईं उनमें यह था कि नामांकन वापिसी के अंतिम दिन की पूर्व रात्रि में कांग्रेस प्रत्याशी से उनका संपर्क हुआ इसके बाद करोड़ों रुपए का लेनदेन किया गया जिसके बाद उन्होंने अंतिम दिवस अपना नामांकन वापिस ले लिया। सूत्रों की मानें तो रेखा यादव ने 2 करोड़ रुपए में बिजावर विधानसभा के यादव मतदाताओं के मतों का सौदा किया और रकम मिलने के बाद उन्होंने अपना नामांकन वापिस ले लिया।
बीते रोज समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जिले के चंदला में अपने प्रत्याशी के समर्थन में आमसभा करने पहुंचे थे
जहां जिले की मीडिया ने उनसे रेखा यादव को लेकर सवाल किए। मीडिया के सवाल सुनने के बाद अखिलेश यादव ने कहा कि मुझे यह तो नहीं पता कि रेखा यादव ने पहले मुझसे टिकिट क्यों मांगी और जब मैंने टिकिट दी तो फिर नामांकन क्यों वापिस लिया, यह तो मीडिया ही बता सकती है लेकिन इतना जरूर कह सकता हूं कि यदि मध्यप्रदेश के नेता इस तरह से हमारे साथ दगाबाजी करेंगे तो फिर हम कैसे इनके साथ खड़े हो पाएंगे। वहीं दूसरी ओर सपा द्वारा उत्तरप्रदेश से बिजावर विधानसभा में बतौर स्टार प्रचारक भेजे गए नवरत्न यादव सहित कुछ अन्य युवा नेताओं ने तो रेखा यादव पर खुलकर लेन-देन के आरोप लगाए हैं। नवरत्न यादव का कहना है कि 1 नवंबर तक सब ठीक था लेकिन उसी दिन रात को रेखा यादव कि किसी से बातचीत हुई और सुबह उन्होंने अपना नामांकन वापिस ले लिया। नवरत्न ने यह भी कहा कि उसके तमाम प्रयासों के बावजूद रेखा यादव ने अंतिम दिन उनसे बात तक नहीं कि।
बहरहाल जो भी हो लेकिन यह तो तय है कि बगैर लेनदेन के इस तरह का घटनाक्रम नहीं हो सकता था, यदि रेखा यादव ने यादव समाज के मतों का सौदा किया है तो फिर बिजावर विधानसभा के यादव मतदाताओं को जवाब जरूर देना चाहिए, क्योंकि आज के समय हर व्यक्ति स्वतंत्र और समझदार है फिर चाहे वह किसी भी समाज का हो। अगर रेखा यादव ने यादव समाज के नाम पर पैसा वसूल किया है तो जनता को उन्हें सबक अवश्य सिखाना चाहिए।