बॉलीवुड के दिग्गज सिंगर्स में से एक हैं. महज 14 साल की उम्र में ही अपने सपने को पूरा करने के जुनून में उन्होंने अपना घर छोड़ दिया था. कैलाश खेर बचपन से ही संगीत के शौकीन रहे हैं, इसी के चलते उन्होंने कम उम्र में अपना घर छोड़कर सिंगिंग में करियर बनाने का मन बना लिया था.
एक इंटरव्यू में कैलाश ने बताया कि सिंगिंग में करियर बनाने से पहले उन्होंने अपने एक फैमिली फ्रेंड के साथ हैंडिक्राफ्ट का बिजनेस किया था, लेकिन उनकी किस्मत उन्हें कहीं किसी बड़ी मंजिल पर ले जाना चाहती थी. दिल्ली में जन्में कैलाश एक कश्मीरी परिवार से आते हैं और उनके पिता मेहर सिंह खेर भी एक भारतीय लोक गायक थे. वे कहते हैं कि उन्हें संगीत से प्यार बचपन से ही था और महज 4 साल की उम्र में उन्होंने म्यूजिक में अपना टैलेंट दिखाना शुरू कर दिया था लेकिन उनकी ये राह आसान नहीं थी.
पढ़ाई के बाद कैलाश खेर ने अपना घर छोड़ दिया था और वे छोटे- मोटे काम कर अपना गुजारा करते थे. उन्होंने बताया कि जब उन्हें कुछ काम नहीं मिला तो उन्होंने कुछ बच्चों को म्यूजिक के गुर भी सिखाए, भले ही वे उस वक्त किसी मुकाम पर न पहुंचे हों. उस दौरान कैलाश 50 रुपए फीस लेते थे.
बाद में कैलाश ने उत्तराखंड के ऋषिकेश चले गए और वहां गंगा किनारे अपनी आवाज का जादू बिखेरने लगे. यहां उन्हें गायिकी के लिए भले ही कुछ नहीं मिलता था था लेकिन दिल को सुकून जरूर था. ऐसा वे खुच बयां कर चुके हैं कि जब वे ऋषिकेश में गाने गाते थे और लोग उनकी आवाज पर झूमते थे तो लगता था मानो वे किसी देवलोक में हों. कैलाश खेर ऋषिकेश के गंगा के घाट पर स्थित आश्रमों के बाहर रोजाना आरती के समय अपनी आवाज में गाना गुनगुनाते थे, जिसे सुनकर वहां मौजूद साधु-संत भी झूमने लगते थे.
एक दिन एक साधू ने सिंगर की आवाज सुनकर कहा तुम्हारी आवाज में जादू है, तुम इतने परेशान मत हो. भोलेनाथ सब ठीक करेंगे. महंत की बात सुनकर उन्होंने आगे बढ़ने का फैसला किया और ऋषिकेश से मुंबई आ गए. यहां कुछ म्यूजिक टेक्नीशियन के साथ बातचीत हुई टेक्नीशियन उनके लिए म्यूजिक तैयार करें, लेकिन यहां भी सफलता नहीं मिली. यहां तक कि महंत ने उन्हें जिस बिले पार्ले आश्रम में रहने को कहा था, वहां भी उन्हें ठौर ठिकाना नहीं मिला.
जब कैलाश ऐसे ही घूम रहे थे तो उन पर एक युवक की नजर पड़ी जो उनके म्यूजिक का दिवाना था. उसी के जरिए वे एक पते पर पहुंचे और वहां उन्हें जिंगल्स गाने को कहा गया. कैलाश ने अब तक 2000 से ज्यादा जिंगल्स गाए और वे भारत सरकार की ओर से जिंगल्स को आवाज देते हैं. लगातार प्रयाय करने के बाद उन्हें अक्षय कुमार और प्रियंका चोपड़ा की‘अंदाज’ में सूफियाना गाना गाने का चांस मिल गया जिसका टाइटल ‘रब्बा इश्क न होवे’ है.
इस गाने को कैलाश ने ऐसी शिद्दत से गया कि फिल्म रिलीज हुई तो इस गाने ने उनको रातों रात स्टार बना दिया . इसके बाद ‘अल्लाह के बंदे’ के बाद तो कैलाश काफी लोकप्रिय हो गए थे और फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. कैलाश खेर 50 रुपए से शुरू हुआ सफर अब 35 मिलियन है. सिंगर की नेट वर्थ 35 मिलियन है और एक गाने की फीस वे 9 से 10 लाख रुपए चार्ज करते हैं. बता दें कि कैलाश खेर तेलुगू सॉन्ग भी गाते हैं.