सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार, सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को हाथ से सीवर साफ करने या मैला ढोने की प्रथा को पूरी तरह से समाप्त करने का आदेश दिया। कोर्ट ने इस दौरान मौत होने पर 30 लाख रुपये मुआवजा देने का भी आदेश दिया।
न्यायमूर्ति एसआर भट और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने गहरी नाराजगी जताते हुए कहा, यह दुर्भाग्य है कि आज भी देश में हाथ से सीवर की सफाई के दौरान मौत की घटनाएं सामने आ रही हैं।
कोर्ट ने कहा कि सरकारों या सक्षम प्राधिकारों को सीवर सफाई के दौरान मरने वाले कर्मचारी के परिजनों को मुआवजा देना होगा। पीठ ने कहा कि सीवर की सफाई के दौरान स्थायी विकलांगता का शिकार होने वालों कर्मचारियों को कम से कम 20 लाख और अन्य तरह की विकलांगता पर 10 लाख रुपये का मुआवजा देना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने डॉ. बलराम सिंह की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर विचार करते हुए यह फैसला दिया। कोर्ट ने कहा कि पांच वर्ष में सीवर या सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 347 मौत हुई। इनमें से 40 फीसदी मौत उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और दिल्ली में हुईं।