इजरायल पर हमास का हमला और फिर इजरायली फोर्स का ताबड़तोड़ अटैक. 10 दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी तक जमीनी लड़ाई शुरू नहीं हो सकी है. इजरायल की ओर से मिसाइल, आर्टिलरी गन और एयरफोर्स का ही इस्तेमाल जारी है. आतंकी संगठन हमास के पास उतने उन्नत हथियार नहीं हैं जैसे इजरायल के पास हैं. बावजूद इसके अभी तक इजरायल ने बड़ा जमीनी हमला नहीं किया है.
फोर्स गाजा पट्टी के बार्डर पर तो तैनात है, लेकिन अंतिम प्रहार अभी बाकी है. इस देरी के पीछे सिर्फ एक ये कारण बिल्कुल नहीं हो सकता कि गाजा में रहने वाले आम लोगों की जान ना जाए. बल्कि एक और वजह है. वो यह कि इजरायल अपनी सेना की ज्यादा कैजुअल्टी नहीं चाहता.
दरअसल आमने-सामने की लड़ाई में उसका पलड़ा हमेशा उसका भारी होता है जो अपने को डिफेंड करता है. जैसा कि हमने रूस-यूक्रेन युद्ध में भी देखा कि कैसे रूसी टैंक और उनके सैनिकों को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा. यहां भी कमोबेश ऐसा ही दिखाई दे सकता है. सुरक्षा मामलों के जानकारों की माने तो सबसे पहले जमीनी लड़ाई की जटिलता को समझना होगा.लड़ाई में तो अटैकर और डिफेंडर की कैजुअल्टी के अऩुपात को देखें तो सामान्य लड़ाई में ये 1 बनाम 3 माना जाता है.
मतलब 1 डिफेंडर को मारने के लिए अटैकर को अपने 3 सैनिकों को गंवाना पड़ता है. ऐसी ही अगर लड़ाई जंगल में लड़नी हो तो ये अऩुपात 1:9 और अगर हाई ऑलटेट्यूड एरिया हो तो ये 1:12 हो जाता है. अर्बन एरिया में ये अऩुपात 1: 6-9 तक चला जाता है. यानी अर्बन एरिया में जो डिफेंड कर रहा है उसके एक सैनिक को न्यूट्रलाइज करने में अटैकर को 6 से 9 या इससे ज्यादा सैनिकों की कैजुअल्टी उठानी पड़ सकती है.
इसीलिए फौज अर्बन एरिया में लड़ाई लड़ने के लिए कभी तैयार नहीं होती. बल्कि इस तरह के वॉरफेयर के लिए स्पेशल कमांडो तैयार किये जाते हैं, जिस तरह भारत में NSG है. करीबन 40 किलोमीटर लंबी और 10 से 12 किलोमीटर चौड़ी गाजा पट्टी में 20 लाख लोग रहते हैं. उस जगह को इमारतों का जाल या कंक्रीट का जंगल कहेंगे तो गलत नहीं होगा. ऐसे में हमास को बेहतर डिफेंस मिल रहा है और हर इमारत में हमास के आतंकी छिपे हो सकते हैं. ऐसे में हर इमारत की हर फ्लोर और हर कमरे को छानना किसी भी सेना के लिए असंभव है. इस तरह के ऑपरेशन में कैजुअल्टी बढ़ जाती है.
कंक्रीट के जंगल वाले डिफेंस को सिर्फ एयर स्ट्राइक से ही ध्वस्त करना संभव है. इजरायल का ये सबसे बड़ा प्लान है. चूंकि इजरायल के पास गाजा का पूरा ब्लू प्रिंट मौजूद है और उसी के हिसाब से इजरायल की वायुसेना और मिसाइल हमास के उन संभावित ठिकानों पर अटैक भी कर रही है. लेकिन हमास आम लोगों को भी एक ह्यूमन शील्ड की तरह इस्तेमाल कर रहा है और इजरायल वॉर क्राइम की फजीहत अपने सिर मोल लेना नहीं चाहता.
इजरायल को इस बात का एहसास है और उसी वजह से पानी बिजली और अन्य जरूरी चीजों को बंद कर के हमास के आतंकियों पर न सिर्फ अपने स्तर से बल्कि गाजा के स्थानीय लोगों के जरिए दबाव बनाया जा रहा है शहरों की लड़ाई की बात करें तो 26/11 मुंबई हमले के दौरान ताज होटल में छिपे आतंकियों को खत्म करने में दो दिन लग गए. वहां तो कुछ आतंकी थे यहां तो गाजा पट्टी में आतंकियों की तादाद हजारों में हैं.
ऐसे में पूरी तरह से हमास का सफाया करने में इजरायल को थोड़ा समय लग सकता है. इजरायल के हमास पर पलटवार के बाद से इजरायल को अरब देशों के रुख में बदलाव दिखना शुरू हो गया है. कई अरब देशों को एक बार नहीं बल्कि दो बार इजरायल हरा चुका है. ऐसे में गाजा पट्टी में हमास पर काउंटर अटैक के बाद एक बार फिर से अरब देश इजरायल के खिलाफ एकजुट हो जाएं तो ताज्जुब नहीं होगाशहरों की लड़ाई की बात करें तो 26/11 मुंबई हमले के दौरान ताज होटल में छिपे आतंकियों को खत्म करने में दो दिन लग गए.
वहां तो कुछ आतंकी थे यहां तो गाजा पट्टी में आतंकियों की तादाद हजारों में हैं. ऐसे में पूरी तरह से हमास का सफाया करने में इजरायल को थोड़ा समय लग सकता है. इजरायल के हमास पर पलटवार के बाद से इजरायल को अरब देशों के रुख में बदलाव दिखना शुरू हो गया है. कई अरब देशों को एक बार नहीं बल्कि दो बार इजरायल हरा चुका है. ऐसे में गाजा पट्टी में हमास पर काउंटर अटैक के बाद एक बार फिर से अरब देश इजरायल के खिलाफ एकजुट हो जाएं तो ताज्जुब नहीं होगा