हमास के हमले में 700 से ज्यादा इजरायली नागरिकों की मौत हो चुकी है, जबकि 50 से ज्यादा नागरिकों और सैनिकों को बंधक बना लिया है. 6 अक्टूबर को हमास ने अचानक इजरायल पर हमला कर दिया था. एक के बाद एक 5000 रॉकेट दागे. हमास के लड़ाके, जमीन के अलावा समुद्र और आसमान के रास्ते इजरायल की सीमावर्ती इलाकों में घुस गए थे.
2 साल से प्लानिंग में जुटा था हमास साल 1973 के बाद पिछले 50 सालों में यह पहला मौका है जबहमास ने इजरायल पर इतने बड़े हमले को अंजाम दिया. जानकारी के मुताबिक हमास (Hamas) पिछले 2 सालों से इस हमले की प्लानिंग कर रहा था. एक तरफ हमास, इजरायल को आश्वस्त करने में लगा था कि वह युद्ध नहीं चाहता है और दूसरी तरफ लड़ाई की जमीन तैयार कर रहा था.
हमास से जुड़े करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि हमास की रणनीति बिल्कुल साफ थी- इजरायल को धोखा देना और उलझाए रखना. हमास लगातार कहता रहा कि वह सीधी लड़ाई के लिए तैयार नहीं है और दूसरी तरफ अपनो लड़ाकों को ट्रेनिंग दे रहा था.
हमास, इस बार इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद को भी धोखा देने में कामयाब रहा. पिछले कुछ महीनों के दौरान बार-बार ऐसे संकेत दिए कि वह इजरायल से सीधी लड़ाई मोल नहीं लेना चाहता.डमी बस्ती बनाकर की थी ड्रिल
रॉयटर्स के मुताबिक हमास पिछले कई महीनों से अत्याधुनिक हथियार और दूसरे वेपन जुटा रहा था.
इजरायल पर हमले से पहले बकायदा गाजा पट्टी में मॉक ड्रिल की. इजरायल जैसी डमी बस्तियां बसाई गईं. फिर इन पर हमला किया गया. हमास के लड़ाके पैराग्लाइडिंग के सहारे यहां उतरे. जब पूरी तरह आश्वस्त हो गए कि इजरायल को पटखनी दे सकते हैं,
तब हमला कर दिया.हमास की ट्रेनिंग कितनी पुख्ता थी, इसको इस बात से समझा जा सकता है कि उसके लड़ाकों ने न सिर्फ इजरायल में घुसकर उसके नागरिकों को मौत के घाट उतारा. बल्कि दर्जनों नागरिकों को बंधक बनाकर गाजा ले गए. हमास की कमांडो यूनिट दक्षिणी गाजा स्थित इजरायली आर्मी के हेडक्वार्टर में घुस गई और कम्यूनिकेशन सिस्टम तहस-नहस कर दिया था.
सूत्र बताते हैं कि हमास की स्ट्रैटेजी इजरायल को धोखे में रखना था. हमास के शीर्ष नेता लगातार कहते रहे कि इजरायल से उनकी लड़ाई से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण गाजा पट्टी में रहने वाले लोगों की आजीविका और रोजी-रोटी है. इसलिए वह लड़ाई में दिलचस्पी नहीं रखता है.
बता दें कि गाजा पट्टी के हजारों लोग इजरायल में काम करते हैं. इजरायल बाकायदा उन्हें वर्क परमिट देता है. तमाम नागरिकों को इंसेंटिव भी देता है.हमास के इस भीषण हमले के बाद इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद और इजरायल डिफेंस फोर्सेज (IDF) पर भी सवाल उठ रहे हैं
सवाल है कि दुनिया की सबसे खूंखार माने जाने वाली मोसाद को आखिर हमास की इतनी बड़ी प्लानिंग की भनक आखिर क्यों नहीं लग पाई? प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के सुरक्षा सलाहकार रहे रिटायर्ड जनरल याकोव अमिदरोर (Retired General Yaakov Amidror) कहते हैं कि ‘हमास का यह हमला इंटेलिजेंट सिस्टम का फेल्योर दिखाता है’.