mumbai news: सीक्वल फिल्मों का हिंदी सिनेमा में क्रेज बने रहना न सिर्फ फिल्म कारोबार के लिए शुभ संकेत है बल्कि ये इस बात का भी प्रमाण है कि बड़े परदे का तिलिस्म अपने अलग अंदाज में ही दर्शकों पर असर करता है। इस शुक्रवार रिलीज हुई दोनों फिल्में सीक्वल ही हैं। अक्षय कुमार, पंकज त्रिपाठी और यामी गौतम अभिनीत ‘ओएमजी 2’ हालांकि 11 साल पहले रिलीज हुई फिल्म ‘ओमएमजी’ की कहानी से बिल्कुल अलग है, वहीं ‘गदर 2’ उसी कहानी को आगे बढ़ाती है जो दर्शकों ने 22 साल पहले फिल्म ‘गदर’ में देखी थी। सीक्वल फिल्मों के साथ एक बात और है और वह है फिल्म से दर्शकों को बनने वाली अपेक्षाएं। निर्देशक अनिल शर्मा की फिल्म ‘गदर’ ने जो इतिहास बॉक्स ऑफिस पर रचा, उसे दोहराने की उम्मीद इस बार भी इसे बनाने वाली कंपनी जी स्टूडियोज और इसे निर्देशित करने वाले अनिल शर्मा दोनों को है।
कहानी 1971 की
फिल्म ‘गदर’ बंटवारे के दौर की कहानी थी। फिल्म का गुणसूत्र ये था कि बंटवारे के दंगा फसाद में अपने परिवार से बिछड़ी एक मुस्लिम लड़की सकीना हमलावरों का शिकार होने ही वाली होती है कि एक ट्रक ड्राइवर तारा सिंह उसे आकर बचा लेता है। वह वहीं उसकी मांग भरकर उसे अपनी पत्नी भी बना लेता है। दोनों का एक प्यारा सा बेटा है जीते। तारा सिंह अपनी पत्नी को पाकिस्तान से वापस लाने की जो जद्दोजहद करता है, वही उसके प्रेम की ताकत के रूप में सामने दिखता है। इस बार कहानी 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध से ठीक पहले की है। सकीना के पिता अशरफ अली को तारा सिंह की मदद करने के आरोप में फांसी दी जा चुकी है। यहां जीते का मन पढ़ाई में कम और नाटक, नौटंकी में ज्यादा लगता है। तारा सिंह फौजियों को रसद आपूर्ति का काम करता है और एक दिन उसे राम टेकड़ी पर हुए पाकिस्तान हमले के बीच गोला बारूद पहुंचाने में सेना की मदद करनी होती है। हालात बिगड़ते हैं और खबर आती है कि तारा सिंह को पाकिस्तानी फौज ने बंधक बना लिया है। जीते उसकी तलाश में भेष बदलकर पाकिस्तान पहुंच जाता है। मामला तब बिगड़ता है जब तारा सिंह अपने घर पहुंच जाता है और जीते को पाकिस्तानी सेना आईएसआई की मदद से पकड़ लेती है।
प्रेम कथा जारी है…
फिल्म ‘गदर’ और ‘गदर 2’ दोनों का गुणसूत्र एक है। पिछली बार पाकिस्तान से सकीना हिंदुस्तान आई थी। इस बार चुनौती मुस्कान को लाने की है। मुस्कान ही जीते की पाकिस्तान में मदद करती है और उससे मोहब्बत भी यानी कि गदर के बीच एक प्रेम कथा भी चलती रहती है। अनिल शर्मा ने ये प्रेम कथा आगे भी जारी रहने का संकेत फिल्म ‘गदर 2’ में दिया है। जीते अब फौज में भर्ती हो चुका है लिहाजा बहुत संभव है कि अगली बार ये प्रेम कथा कारगिल युद्ध के आसपास बुनी जाए। मूल फिल्म की कहानी लिखने वाले शक्तिमान ने सीक्वल के दबाव में रहते हुए ‘गदर 2’ की कहानी भी देश प्रेम, पाकिस्तान विरोध, हिंदू-मुस्लिम भाईचारे और दो पीढ़ियों के आपसी प्रेम पर केंद्रित रखी है। ‘ओएमजी 2’ की तरह कहानी की धुरी यहां भी पिता और पुत्र का प्रेम ही है और जीते जब फिल्म में एक जगह कहता है, ‘जिसके ऊपर पिता का साया है, उसे फिक्र करने की क्या जरूरत!’ तो बरबस ही आंखें नम हो आती हैं।
22 साल पुराने अहसासों की संजीवनी
कहानी के अलावा अनिल शर्मा ने पिछली फिल्म ‘गदर’ के दो गानों का पूरा का पूरा नया चोला इस फिल्म में दर्शकों के लिए आकर्षण बिंदु की तरह रखा है। ‘उड़ जा काले कागा’ तो खैर है ही कालजयी गीत। लेकिन, पिता पुत्र के स्नेह में तब्दील हुआ गाना ‘मैं निकला गड्डी लेके’ तारा सिंह के बेटे बने उत्कर्ष शर्मा की नृत्य कलाओं को भी बेहतर तरीके से पेश करने में सफल रहा। अनिल शर्मा ने अपने बेटे उत्कर्ष को फिल्मों में लॉन्च करने के लिए इससे पहले ‘जीनियस’ बनाई थी लेकिन फिल्म ‘गदर 2’ को देखकर लगता है कि अनिल शर्मा को पहले यही फिल्म बनानी चाहिए थी। उत्कर्ष की दाढ़ी की कॉन्टीन्यूटी भले यहां गड़बड़ हो लेकिन उन्होंने सनी देओल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है। रूमानी दृश्यों में उनके चेहरे की मासूमियत उनके काम आती है तो क्लाइमेक्स के दृश्यों में जब वह फिल्म ‘गदर’ का संवाद, ‘हिंदुस्तान जिंदाबाद था, हिंदुस्तान जिंदाबाद है और हिंदुस्तान जिंदाबाद रहेगा!’ इसकी भावना के साथ बोल ले जाने में सफल रहते हैं तो सिनेमा हॉल में तालियां इस संवाद के लिए भी बजती हैं और उत्कर्ष शर्मा के लिए भी। उत्कर्ष का साथ देने को यहां नई अदाकारा सिमरत कौर हैं और उन्होंने भी पहली फिल्म के हिसाब से काम ठीकठाक किया है।
लाहौर की गलियां और वही हैंडपंप
क्लाइमेक्स में ही वह दृश्य भी है जब लाहौर की गलियों में तलवार लहराती भीड़ तारा सिंह को घेर लेती है और सामने हरे रंग का हैंडपंप नजर आता है। फिल्म ‘गदर’ में हैंडपंप उखाड़ने वाले सीन की ऐसी तासीर रही है कि इसके बाद जो होता है, वह अनिल शर्मा के निर्देशन की होशियारी की झलक बन जाता है। अनिल शर्मा ने फिल्म ‘गदर’ के बाद छह फिल्में और भी निर्देशित कीं। अमिताभ बच्चन से लेकर प्रियंका चोपड़ा तक को निर्देशित किया। लेकिन, लोगों को पसंद आई तो ‘अपने’ जिसमें देओल परिवार एक साथ कैमरे के सामने आया। अनिल शर्मा और सनी देओल एक दूसरे के जिस तरह ‘गदर 2’ में फिर एक बार पूरक बने हैं, वही इस फिल्म की जान है। सनी देओल का हथौड़ा वाला दृश्य फिल्म देखने पहुंचे उनके प्रशंसकों के लिए उत्सव सरीखा है।
मनीष वाधवा की मेहनत भी रंग लाई
बीते 22 साल में फिल्म ‘गदर’ के दो चर्चित कलाकार अमरीश पुरी और विवेक शौक इस दुनिया को छोड़ गए। फिल्म इन दोनों के अभिनय को श्रद्धांजलि भी है। खासतौर से अमरीश पुरी की जगह इस बार फिल्म के विलेन बने मनीष वाधवा के सामने फिल्म के बाकी कलाकारों से ज्यादा चुनौती रही। सिगार सुलगाते, चेहरे पर खतरनाक भाव लाते और बात बात पर कत्लेआम को तैयार रहने वाले जनरल हामिद इकबाल के किरदार में मनीष ने फिल्म को कहीं भी असंतुलित नहीं होने दिया। आमतौर पर सनी देओल के रौद्र रूप के आगे उनकी फिल्मों के विलेन अशरफ अली से आगे कम ही जा पाए हैं लेकिन मनीष वाधवा को अगर अच्छे किरदार मिले तो वह यहां से हिंदी सिनेमा में खलनायकी की एक नई कहानी लिख सकते हैं।