ग्रामीण बोले नहीं है रास्ता, बच्चे भी नहीं जा पाते स्कूल
छतरपुर। रसुइया राधेनगर में विवाद उस समय गरमा गया जब हटा में पदस्थ एक आरक्षक की हार्टअटैक से मौत हो जाने के बाद शव को एंबुलेंस से उसके गांव ले जाया जा रहा था लेकिन गांव के ही भरत सिंह के द्वारा रास्ते को गड्ढा खोदकर बंद कर दिया गया था। इतना ही नहीं ग्रामीणों को भी उस रास्ते से निकलने के लिए मना कर दिया गया था।
जब शव को रास्ते से निकालने के लिए मना किया गया तो सभी ग्रामीण एकजुट हो गए और विवाद गरमा गया। ग्रामीणों ने कहा कि आज गांव के राममिलन शर्मा जो आरक्षक के पद पर पदस्थ हैं उसकी मौत हो गई है। उनके शव को गांव लाया जा रहा है लेकिन भरत ङ्क्षसह के द्वारा रास्ता बंद कर दिया गया है।
ग्रामीणों ने कहा कि वह इसी रास्ते से हमेशा निकलते आ रहे है लेकिन पिछले 8 महीनों से भरत सिंह के द्वारा रास्ते में बड़ा गड्डा खोद दिया और रास्ते को बंद कर दिया गया। ग्रामीणों ने कहा कि जब इसका विरोध किया तो भरत सिंह के द्वारा ग्रामीणों के साथ विवाद किया गया।
शासन प्रशासन से इसकी शिकायत की गई लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। महिलाओं ने बताया कि उनके गांव से बाहर जाने के लिए रास्ता नहीं है और जो रास्ता था उसे भरत सिंह ने बंद कर दिया है। उन्होंने कहा कि बच्चे स्कूल नहीं जा पाते जिस कारण उनका भविष्य अंधकार में डूब रहा है।
ग्रामीणों ने कहा कि ऐसे विधायक और मंत्रियों का क्या होता है जो ग्रामीणों को निकलने के लिए सड़क तक नहीं दिला सकते।
सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और मामले को शांत कराते हुए जेसीबी से रास्ते में खुदे गड्डे को पुरवाकर आरक्षक के शव वाहन को गांव तक पहुंचाया।