नयी दिल्ली, 10 अप्रैल (भाषा) एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और टाटा पावर की बिजली वितरण इकाई टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लि. (टाटा पावर डीडीएल) ने 150 करोड़ रुपये मूल्य के गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर के लिये समझौता किया है। इस समझौते का मकसद ग्रिड को बेहतर बनाकर दिल्ली में बिजली वितरण व्यवस्था को बेहतर बनाना है।
एडीबी और टाटा पावर ने सोमवार को संयुक्त बयान में यह जानकारी दी।
समझौते के तहत एडीबी पायलट आधार पर बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईएसएस) की खरीद और एकीकरण के लिये आंशिक रूप से वित्तपोषण को लेकर 20 लाख डॉलर का अनुदान देने पर भी सहमत हुआ है
वित्तपोषण का उपयोग एक नये 66/11-किलोवॉल्ट ग्रिड को शुरू करने, ट्रांसफार्मर, सबस्टेशन, फीडर लाइन और स्विचिंग स्टेशनों को बढ़ाने तथा विस्तारित करने, स्मार्ट मीटर स्थापित करने एवं पुराने पड़ चुके बिजली उपकरण और मीटर को बदलने के लिये किया जाएगा।
बयान के अनुसार, 10-मेगावॉट घंटा (एमडब्ल्यूएच) बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली वितरण ट्रांसफार्मर स्तर पर दक्षिण एशिया की पहली ग्रिड आधारित ऊर्जा भंडारण परियोजना है।
यह बिजली संग्रहीत करने और मांग आधार पर पर विद्युत वितरित करने, ग्रिड अस्थिरता को कम करने में मददगार होगा। चूंकि सौर तथा पवन ऊर्जा संसाधन हर समय उपलब्ध नहीं होते, ऐसे में इससे हरित ऊर्जा संसाधनों को एकीकृत करने में भी मदद मिलेगी।
बयान के अनुसार, एडीबी की देखरेख में बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली को वित्तपोषित करने के लिये अनुदान गोल्डमैन सैक्स और ब्लूमबर्ग फिलेनथ्रोपीज क्लाइमेट इनोवेशन एंड डेवलपमेंट फंड (सीआईडीएफ) ने प्रदान किया है।
एडीबी की महानिदेशक (निजी क्षेत्र परिचालन) सुजैन गबौरी ने कहा कि बिजली आपूर्ति व्यवस्था में बिजली वितरण एक महत्वपूर्ण कड़ी है। वितरण ट्रांसफार्मर स्तर पर बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली के उपयोग से नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बेहतर ढंग से एकीकृत किया जा सकेगा। इससे दिल्ली के लिये प्रतिकूल परिस्थितियों में भी बिजली वितरण प्रणाली बेहतर हो सकेगी।’
टाटा पावर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक डॉ. प्रवीर सिन्हा ने कहा, ‘‘बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली ग्रिड को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और भविष्य के लिये तैयार बिजली वितरण नेटवर्क का मार्ग प्रशस्त करती है…इससे हमें उपभोक्ताओं के लिये उच्च गुणवत्ता वाली बिजली और विद्युत आपूर्ति में नवीकरणीय ऊर्जा का एकीकरण सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।’’
बिजली मंत्रालय ने पिछले साल कुल बैटरी भंडारण क्षमता 2030 तक बिजली खपत के चार प्रतिशत पर पहुंचाने का लक्ष्य रखा था। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये देश को 2030 तक कुल 182 गीगावॉट-घंटा (एक गीगावॉट बराबर 1,000 मेगावॉट) की बैटरी ऊर्जा भंडारण क्षमता की जरूरत होगी।