मुरादाबाद। (डिलारी) केंद्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री आवास योजना के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हर गरीब को पक्का घर देने का वादा मुरादाबाद में सफेद हाथी साबित हो रहा है। यहां पिछले 10 वर्षों से अत्यंत गरीब परिवार के लोग अपने घर के लिए दर-दर भटक रहे हैं लेकिन उन्हें आज तक पक्का घर नहीं मिल पाया है।
हालात यह है कि अब इन गरीब परिवारों के घरों मे शहनाई भी नहीं बज रही है। गरीबी की जिंदगी गुजर बसर करने वाले इन परिवारों ने सभी से गुहार लगाई लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला। कच्चे टूटे-फूटे मकान में प्लास्टिक की चादर बिछाकर ये गरीब परिवार अपनी जिंदगी गुजर बसर कर रहे हैं। इतना ही नहीं बारिश ने तो इन परिवारों पर कहर बरपाया है। यह हाल है उत्तर प्रदेश के जिला मुरादाबाद के विकासखंड डिलारी
में आने वाली ग्राम पंचायत सहसपुरी का देखने को मिला है।
यहां तकरीबन 12 परिवार के लोग पिछले 10 वर्षों से एक अदद आवास के लिए भटक रहे हैं लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। जिला मुख्यालय से महज 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित विकासखंड डिलारी के ग्राम पंचायत सहसपुरी के गरीब परिवार का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर वे स्थानीय सचिव, बीडीओ एवं जिला के आला अधिकारियों से भी गुहार लगा चुके हैं। लेकिन अब तक महज आश्वासन ही मिला है। ग्राम पंचायत सहसपुरी के मुखिया राजवीर चौधरी एवं पंचायत सचिव शीतल कुमारी की मिलीभगत के चलते गरीब परिवारों का नाम लिस्ट से काट दिया गया। जिसके चलते इन गरीब परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। इस बाबत उन्होंने जिले के आला अधिकारियों एवं खंड विकास अधिकारी से भी संपर्क किया, लेकिन इन गरीबों की समस्याओं का हल अभी तक नहीं हो पाया है। वहीं, ग्राम पंचायत सहसपुरी के ग्रामीणों का कहना है कि राजेंद्र सिंह, सुरेंद्र सिंह,धर्म सिंह, सतपाल सिंह, नरेंद्रपाल सिंह, देवेंद्र सिंह, सतीश कुमार, राजीव कुमार, ऋषि पाल सिंह, राम सिंह, जोगेंद्र सिंह, विजेंद्र सिंह, वीरपाल सिंह ने बताया कि घर न होने के कारण बच्चों की शादी भी नहीं हो पा रही है। गरीबी की मार झेल रहे, इन परिवारों का मजदूरी से ही गुजर-बसर होता है। महंगाई की मार के चलते इन परिवारों को महज दो वक्त की रोटी ही मिल पाती है। यही वजह है कि ये परिवार उम्र के इस पड़ाव पर भी अपना पक्का घर नहीं बना पा रहे हैं।
हालांकि, प्रधानमंत्री आवास योजना से इन्हें उम्मीद की किरण दिखाई दी थी। लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना सरकारी फाइलों एवं सरकारी कार्यालयों में ही फंस कर रह गई है। ग्रामीण अब तक कच्चे एवं टूटे-फूटे मकानों में रहने को विवश हैं। ग्रामीणों का मानना है कि इन गरीब परिवारों के साथ आश्वासन के नाम पर धोखा दिया जा रहा है। जिसके कारण प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ इन तक नहीं पहुंच पाया है।