मातृत्व और बाल स्वास्थ्य को लेकर गंभीर जिला प्रशासन की सख्ती का असर दिखने लगा है। प्रशासन की पहल से जिले के जर्जर पड़े 63 उपकेन्द्रों की सूरत संवर गई है। अब सूदूर ग्रामीण अंचलों में स्थित 154 स्वास्थ्य केन्द्रों पर प्रसव कराया जा रहा है।
सीडीओ गौरव कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य व स्वच्छता समिति की धनराशि एएनएम, प्रधान और आशा बहू के संयुक्त खाते में आती है। इसी पैसे से ग्राम समिति की ओर से स्वच्छता से संबंधित और स्वास्थ्य उपकरण की खरीद की गई है।
जिले के जर्जर स्वास्थ्य उपकेन्द्रों की तस्वीर में सकारात्मक बदलाव आया है। जिन उपकेन्द्रों पर एएनएम की तैनाती नहीं थी, वहां एएनएम की तैनाती कर दी गई है। इसके पीछे मंशा है कि आसपास के लोगों को सरकारी सुविधाओं का लाभ मिल सके।
जिले में अभी तक महज 19 प्रसव केंद्र थे, जिसे बढ़ाकर 154 कर दिया गया है। इसकी वजह से संस्थागत प्रसव बढ़कर 21 सौ तक पहुंच गया है। इस कार्यक्रम को बेहतर बनाने के लिए सड़क और शौचालय पर मनरेगा के तहत कार्य कराया गया है।
इन केंद्रों की दशा सुधरने से गर्भावस्था में जांच व टीकाकरण कराने वाली महिलाओं की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। ऐसी महिलाओं की संख्या 11274 तक हो गई है।