आज से 205 साल पहले भीमा कोरेगांव में अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी और पेशवा की सेना के बीच ऐतिहासिक लड़ाई लड़ी गई थी। इस लड़ाई में 500 महार सैनिकों ने पेशवा बाजीराव-2 के 25000 सैनिकों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। जिस बहादुरी का परिचय महार सैनिकों ने दिया था उसके लिए आज के दिन को याद किया जाता है।
इस जीत को उत्पीड़ित समुदायों के आत्म सम्मान की वापसी के दिन के तौर पर मनाया जाता है। भीमा कोरेगांव की वर्षगांठ को शौर्य दिन के रूप में भी मनाया जाता है। इस मौके पर महाराष्ट्र के पुणे स्थित भीा कोरेगांव में बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए।
हर वर्ष नए वर्ष के साथ लोग भीमा कोरेगांव युद्ध की बरसी को मनाते हैं। दरअसल महार को अछूत जाति के तौर पर जाना जाता है। जब अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी आई तो उसने भारत में जाति और वर्ण के भेद को बेहतर तरह से समझा और जिन महारों को पेशवा अपनी टुकड़ी में शामिल नहीं करते थे उन्हें अपनी सेना में जगह दी।
महारों ने पहले पेशवाओं से यह गुहार लगाई थी कि वह उनकी ओर से लड़ेंगे, लेकिन पेशवाओं ने महारों की गुहार को तवज्जों नहीं दी और उन्हें अपनी टुकड़ी में शामिल नहीं किया। जिसके बाद महार अंग्रेजों के साथ चले गए और उन्होंने पेशवाओं के खिलाफ युद्ध में हिस्सा लिया।
1 जनवरी 1818 में कोरेगांव भीमा में ब्रिटिश इंडिया कंपनी और पेशवा की सेना आमने-सामने थी। एक तरफ जहां पेशवा बाजीराव-2 के 25000 सैनिक मैदान में थे तो दूसरी तरफ ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से 500 महार सैनिक मैदान में थे।
दोनों के बीच की इस लड़ाई को इसलिए भी काफी महत्व दिया जाता है क्योंकि इतनी कम संख्या में होने के बाद भी महारों ने पेशवा की सेना को मात दे दी थी। यही वजह है कि दलित समुदाय हर वर्ष इस युद्ध को जश्न के तौर पर मनाता है। अलग-अलग तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
बता दें कि 1 जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव लड़ाई की वर्षगांठ के मौके पर समारोह के दौरान हिंसा भड़क गई थी. कुछ लोगों ने गांव की ओर जा रही कारों पर पथराव कर दिया था. हिंसा में एक शख्स की मौत हो गई थी और कई अन्य लोग घायल हो गए थे।
मामले में पुलिस ने 162 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. तब जंग के 200 साल पूरे हुए थे. हिंसा भड़काने का आरोप दलित नेताओं की ओर से एक हिंदूवादी कार्यकर्ता मिलिंद एकबोटे और संभाजी भिडे पर लगाया गया था।
आरोपी कवि पी वरवर राव को रखा गया था नजरबंद
2018 के हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 10 अगस्त 2022 को सुनवाई की थी. कोर्ट ने हिंसा के आरोपी कवि पी वरवर राव को उनकी स्वास्थ्य स्थिति और वृद्धावस्था को देखते हुए एक महीने के लिए घर में नजरबंद रखने का आदेश दिया था. 17 नवंबर 2022 को वकील ने कोर्ट को बताया कि आदेश का राज्य के आधिकारियों की ओर से पालन नहीं किया जा रहा है।
राव को 28 अगस्त 2018 को हैदराबाद में उनके घर से गिरफ्तार किया गया था और पुणे पुलिस ने उन्हें कोरेगांव हिंसा का आरोपी मानते हुए उन पर कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया था।
इस मामले में एक्टिविस्ट गौतम नवलखा पर भी मुकदमा दर्ज किया गया था. वहीं, बॉम्बे हाई कोर्ट ने आनंद तेलतुंबडे को भीमा कोरोगांव मामले में 1 लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी थी।