लेखक- आकाश भूषण
देश के प्रधानमंत्री भले ही दलित के पैर धोते हैं । मोदी योगी सहित तत्कालीन सरकार का हर बड़ा नेता चुनाव के समय दलित के घर खाना भी खाते हैं और उनके हितों की बात करते हैं। ये सब चुनावी स्टंटबाजी करके सरकार भले ही दलितों का वोट लेने में कामयाब हो जाये। पर जब सच में उनके लिए खड़ा होने की बात होती है तो हाथ पीछे खींच लिया जाता है।
राजस्थान में जातिवाद का शिकार हुए मृतक इंद्र मेघवाल के परिवार को इंसाफ के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। पुलिस उन पर लाठियां बरसा रही है। बच्चे के मामा को पीट कर घायल कर दिया जाता है। और बच्चे के अंतिम संस्कार के लिए भी घर वालों पर दबाव डाला जाता है। जिस परिवार के बच्चे को सिर्फ इस लिए मार दिया जाता है।
क्योंकि वो स्कूल में प्यास लगने पर वहां पर रखे मटके से पानी पीने जाता है। बच्चा 23 दिनों तक जिन्दगी और मौत से लड़ता है उसका परिवार उसके इलाज के लिए हर संभव कोशिश करते हैं। पर बच्चा दम तोड़ देता है इतने के बाद जब इंसाफ के लिए पुलिस में उसके पिता जाते है तो पुलिस उनको ही मारने- पीटने लगती है। शिकायत वापस लेने के लिए दबाव बनाती है। इतना सब कुछ सहने के बाद जब बात मीडिया में जाती है तो सरकार बात शांत करने के लिए सिर्फ 5 लाख रूपये मुआवजे के रूप देने का आश्वाशन देती है।
सिर्फ 5 लाख इसलिए क्योंकि आज से करीब 5 साल पहले लखनऊ में ऐपल के सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी की हत्या मामले में सरकार तेजी से पीड़ित परिवार को मुआवजा देने में लग गई थी. एक दिन पहले मृतक की पत्नी को नौकरी का ऑफर देने के बाद मंगलवार को चेक के रूप में मुआवजा राशि भी परिवार को सौंपी गई थी ।
चर्चित विवेक तिवारी हत्याकांड मामले में मंगलवार को तहसीलदार (सदर) शम्भू और एडीएम टीजी अनिल कुमार मृतक विवेक के घर पहुंचे और 40 लाख का चेक पीड़ित परिवार को सौंपा. प्रशासन की ओर से मृतक विवेक की पत्नी कल्पना तिवारी को 25 लाख और छोटी बेटी को 5 लाख का चेक दिया गया।
उनकी बड़ी बेटी प्रियांशी तिवारी को भी 5 लाख का चेक दिया गया. तहसीलदार (सदर) शम्भू कुमार ने मीडिया को बताया था कि सरकार की ओर से मृतक के परिवार को मुआवजे के तौर पर यह चेक दिया गया है. इससे पहले सोमवार को कल्पना तिवारी को लखनऊ नगर निगम में ओएसडी की नौकरी का ऑफर दिया गया।
उनको नौकरी का ऑफर दिए जाने पर नगर निगम के कमिश्नर ने कहा कि वह पोस्ट ग्रेजुएट हैं. हमने सभी जरूरी सर्टिफिकेट, फोटो और दस्तावेज ले लिए हैं. सभी औपचारिकताएं पूरी की जा चुकी हैं. उन्हें नगर निगम के किसी एक विभाग में तैनात किया जाएगा.
और उस बच्चे की जान की कीमत सिर्फ पांच लाख रुपए जिसने जिंदगी शुरू भी नहीं किया था। जबकि विवेक को गोली गलतफहमी में सुरक्षा कारणों से लगी थी। आरोपी सिपाही संदीप को सजा भी हो गई।
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