लखनऊ। मात्र 3 वर्ष पूर्व 2019 में आश्रित कोटे से पुलिस विभाग में दरोगा बन कर आए योगेश सिंह को एंटी करप्शन ऑर्गेनाइजेशन भ्रष्टाचार निवारण संगठन की ट्रैप टीम ने 7 हज़ार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया है ।
7 हज़ार की रिश्वत के साथ गिरफ्तार होने वाला घूसखोर दरोगा योगेश सिंह मौजूदा समय में लखनऊ कमिश्नरेट के सैरपुर थाने की बौरू मऊ चौकी का इंचार्ज था और उसने पण्टापुर सैरपुर के रहने वाले विजेंद्र कुमार से मुकदमे से नाम निकाले जाने के एवज में 7000 की रिश्वत मांगी थी ।
भ्रष्टाचार निवारण संगठन के डीआईजी राजीव मल्होत्रा के अनुसार शिकायतकर्ता विजेंद्र कुमार की शिकायत पर घूसखोर दरोगा योगेश सिंह की गिरफ्तारी के लिए ट्रैप टीम का गठन किया गया और शुक्रवार की दोपहर रिश्वतखोर दरोगा योगेश सिंह को घूस की रकम के साथ रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया।
इंस्पेक्टर सैरपुर अख्तियार अहमद अंसारी ने बताया कि विजेंद्र कुमार और उनके भाइयों के बीच संपत्ति के बंटवारे को लेकर मुकदमे बाजी चल रही थी उन्होंने बताया कि भ्रष्टाचार निवारण संगठन के द्वारा गिरफ्तार किए गए योगेश सिंह 2019 बैच के उपनिरीक्षक हैं उन्होंने बताया कि सैरपुर थाना बनने से पहले से ही योगेश सिंह बौरू मऊ चौकी के इंचार्ज थे।
रिश्वत की रकम से वर्दी को शर्मसार करने वाले रिश्वतखोर दरोगा योगेश सिंह की रंगे हाथ गिरफ्तारी होने के बाद ये तो पक्का है कि उसे न सिर्फ निलंबन की कार्रवाई से गुजरना पड़ेगा बल्कि नौकरी के शुरुआती वर्षों में रिश्वत का दाग लेकर यह घूसखोर दरोगा इतनी आसानी से प्रोन्नति भी नहीं पाएगा।
सूत्रों के अनुसार भ्रष्टाचार निवारण संगठन केे द्वारा रिश्वत के साथ रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया वर्दी को शर्मसार करने वाला रिश्वतखोर दरोगा योगेश सिंह अपनी चौकी क्षेत्र में रिश्वत के मामलेे में काफी चर्चित था लेकिन इससे पहले कभी किसी ने उसकेेेेेे खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण संगठन में कोई शिकायत नहींं की थी जिसकी वजह से करीब 1 वर्ष से चौकी पर तैनात दरोगा मनमानी पर उतारू था और आज इसे इसके किए की सजा मिल ही गई।