सरकार के द्वारा भले ही गरीबों के हितों को ध्यान में रखते हुए कई जनकल्याणकारी योजनाओं का संचालन किया गया हो और मीडिया प्रचार और प्रसार किया गया है लेकिन प्रधानमंत्री आवास जैसी योजना जमीनी हकीकत में दम तोड़ रही है।
इस योजना गरीबों को लाभ न मिलकर अपात्रों को योजनाओं का लाभ मिल रहा है। आरोप है कि ग्राम प्रधान सुविधा शुल्क लेने के बाद ही पीएम आवास योजना का लाभ दिला रहे हैं। जो गरीब सुविधा शुल्क नहीं दे पा रहे हैं, उन्हें योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
कागजों में आवास मिला पर बन न सका
प्रयागराज के बारा तहसील में गरीबी का दंश झेल रहे मुसहरों के लिए यह योजना केवल कागजों पर ही दौड़ कर रह गई है। कौंधियारा विकास खंड के अंतर्गत आने वाली ग्राम सभा बड़गोहना खुर्द में रहने वाले मुसहरों को प्रधानमंत्री आवास तो मिला पर वह आवास आज तक बन नहीं सका।
मुसहर लोग आज भी टूटी-फूटी झोपड़ी में रह रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास पाने वाली फूल कली व रमना देवी ने बताया कि उन्हें प्रधानमंत्री आवास तो मिला है। उन्होंने आरोप लगाया कि ग्राम प्रधान ने उनसे पूरे 120000 रुपये ले लिए और आज तक उनका आवास नहीं बन सका।
गांव की ही रहने वाली बिटोला देवी ने बताया गया कि पूर्व प्रधान ने उन्हें आवास तो दिया गया लेकिन आज तक उस आवास में छत नहीं पड़ पाई, जिसके कारण वह आज भी घास फूस की झोपड़ी में रह रही हैं।
57 ग्राम सभाओं का एक जैसा हाल
यह एक ग्राम सभा की बात नहीं है। इसी तरह से कौंधियारा ब्लॉक की 57 ग्राम सभाओं में जिन गरीबों को प्रधानमंत्री आवास मिले हैं, वह आज भी आधे-अधूरे ही बने हैं, क्योंकि ज्यादातर ग्राम प्रधानों के कहने पर लाभार्थियों ने अपने खाते से पूरा पैसा निकाल कर प्रधानों को दे दिया और प्रधानों ने आधा-अधूरा आवास बनवा कर विभागीय अभिलेखों में पूर्ण दिखा दिया।
इनपुट भासकर