राष्ट्रपति चुनाव में संयुक्त विपक्ष की तरफ से उम्मीदवार बनाए गए यशवंत सिन्हा का कहना है कि बीजेपी तानाशाही से राज कर रही है। उसने संविधान की धज्जियां उड़ा रखी हैं। अगर इन्हें रबर स्टैंप प्रेसीडेंट मिला तो ये बेलगाम हो जाएंगे। सभी राजनीतिक दलों को ये बात गंभीरता से सोचनी होगी। नहीं तो देश गहरे संकट में आ जाएगा। फिर उबरना मुश्किल होगा।
यशवंत का मानना है कि राष्ट्रपति का चुनाव बेहद दिलचस्प होने जा रहा है। वो पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के आभारी हैं कि उन्होंने उन्हें फिर से राजनीतिक रूप से संबल दिया। उनको टीएमसी के टिकट पर राज्यसभा भेजा गया। लेकिन उनके नाम का प्रस्ताव ममता दीदी ने नहीं किया।
उन्होंने फारूख और गोपाल कृण गांधी के नाम का प्रस्ताव पहली बैठक में किया था। उनका नाम दूसरी बैठक में उठा। अब उनकी जिम्मेदारी है कि वो गंभीरता से चुनाव लड़ें। यशवंत का कहना है कि वो विपक्ष के सभी दलों से संपर्क साध रहे हैं। बिहार के सीएम नीतीश से भी मिलेंगे, जिन्होंने आज एनडीए की उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मु का समर्थन कने की घोषणा की।
एक सवाल के जवाब में यशवंत ने कहा कि बीजेपी के लिए द्रोपदी का समर्थन करना एक मजबूरी है, क्योंकि उनका सूबा आदिवासी बहुल्य इलाका है। अगर नवीन पटनायक राजग उम्मीदवार का विरोध करते हैं तो इससे उन्हें सियासी नुकसान हो सकता है। उनका मानना है कि बीजेपी के पास भी जीतने लायक नंबर नहीं हैं। लिहाजा चुनाव दिलचस्प होगा। वो अपनी तरफ से जीतने के लिए भरसक कोशिश करने जा रहे हैं।
इस वजह से छोड़ी बीजेपी
यशवंत का कहना है कि वो बीजेपी में थे। लेकिन आज नहीं हैं। इसका उन्हें मलाल भी नहीं है, क्योंकि वो जिस बीजेपी में थे वहां अटल बिहारी वाजपेयी जी के सिद्धांत थे। वो सबसे बड़े नेता था। लोगों की सुनते थे। उसके बाद ही कोई फैसला करते थे।
आज की बीजेपी में ये सब कुछ दूर दूर तक नहीं दिखता। उनका कहना है कि सिद्धांत पार्टी में हवा हो चुके हैं। उनका कहना है कि जब वो बीजेपी से बाहर आए तो उन्हें कोई मलाल नहीं था। वो देख चुके थे कि ये लोग देश के साथ नहीं हैं।