इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में बताया था कि एनसीईआरटी की किताबों से आपातकाल से लेकर गुजरात दंगों तक के अध्याय को हटा दिया जाएगा।
“इतिहास के युक्तिकरण” के नाम पर “इतिहास को दोबारा” लिखने की सरकार की कोशिश पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए केसी त्यागी ने कहा कि इतिहास तो इतिहास है और इसे बदला नहीं जा सकता है।
जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व राज्यसभा सांसद केसी त्यागी ने कहा, “जो घटना घट गई है, अच्छी या बुरी, उसे रिवर्स नहीं किया जा सकता है.” बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस मुद्दे पर स्पष्ट राय दे चुके हैं।
उन्होंने भी हाल में कहा था कि इतिहास को दोबारा नहीं लिखा जा सकता है। एनसीईआरटी की इतिहास की किताबों से अतीत के कई अध्यायाों को हटाने पर आपत्ति जताते हुए त्यागी ने कहा, “आज की और आने वाली पीढ़ी को इतिहास उसी तरह जानना चाहिए जैसा वह था. आपातकाल वाले अध्याय को हटाने का क्या मतलब?”
दलितों और अल्पसंख्यकों पर आधारित अध्यायों को लेकर भी बदलाव
इंडियन एक्सप्रेस ने स्कूल की किताबों में होने वाले बदलाव को लेकर अपनी पड़ताल का एक हिस्सा 18 जून को प्रकाशित किया था और एक हिस्सा आज प्रकाशित किया है. इस दूसरे पार्ट मे अल्पसंख्यकों और दलितों से जुड़े अध्याय पर रिपोर्ट की गई है।
अख़बार लिखता है, “एक दलित के अपने पारंपरिक कामों जैसे खेती, मैला ढोने या चमड़े का काम करने तक ही सीमित रहने की संभावना है। “
“अल्पसंख्यकों के लिए यह ख़तरा हमेशा है कि बहुसंख्यक समुदाय राजनीति में सत्ता पर कब्ज़ा किये रहे और अपने धर्म और संस्कृति को प्रभावी बनाए रखने के लिए राज्य की ताक़तों का इस्तेमाल करे। “
जाति-व्यवस्था और भेदभाव पर लिखे अध्याय में से ये कुछ वो वाक्य हैं जो अब एनसीईआरटी की किताबों के पाठ्यपुस्तक से हटा दिया गया है बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में कई तरह के बदलाव किये गए हैं लेकिन व्यापकता के आधार पर यह सबसे बड़ा बदलाव है।
इंडियन एक्सप्रेस ने कक्षा छह से 12 तक के इतिहास, राजनीति विज्ञान और समाज शास्त्र की पाठ्यपुस्तकों की पड़ताल की है और होने वाले बदलावों का पुराने पाठ्यक्रम से तुलनात्मक अध्ययन किया है. इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी पड़ताल में पाया है कि दलित और अल्पसंख्यकों के साथ हुए भेदभाव के उदाहरण वाली बहुत सी सामग्री को हटा दिया जाएगा।