इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने वर्ष 2019 में उन्नाव में दुष्कर्म पीड़िता को जलाकर मारने के तीन आरोपियों उमेश कुमार बाजपेई, राम किशोर त्रिवेदी व हरिशंकर त्रिवेदी को जमानत दे दी। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने पीड़िता के मृत्यु पूर्व बयान में पहली नजर में विरोधाभास पाते हुए यह आदेश दिया।
मामले में शिवम ने उमेश, राम और हरिशंकर के साथ मिलकर पीड़िता को रास्ते में रोका और उसके सिर व गर्दन पर डंडे व चाकू से हमला करने के बाद उसे जला दिया। इसके बाद अस्पताल में पीड़िता ने मृत्यु पूर्व बयान दर्ज करवाया था।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पीड़िता के सिर पर किसी चोट का जिक्र नहीं है। वहीं, आरोपियों की ओर से तर्क दिया गया कि घटना के दिन रायबरेली में सामूहिक दुष्कर्म के उक्त मुकदमे की कोई तारीख नहीं थी। साथ ही जिस ट्रेन को पकड़े जाने की बात अभियोजन द्वारा कही जा रही है, वह ट्रेन भी दो दिन पहले से निरस्त थी।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि अगर किसी अभियुक्त ने अपराध किया है तो उसे विधि के अनुसार दंड अवश्य मिलना चाहिए। पर, किसी घटना को मीडिया द्वारा विशेष कवरेज दिए जाने की वजह से किसी को कष्ट में डाला जाना उचित नहीं है। जब तक वह वास्तव में दोषी न हो। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने तीनों की जमानत मंजूर कर ली।