जूनियर हाकी विश्व कप 2021 के सेमीफाइनल में भारतीय टीम को पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाला शारदानंद की कहानी आपको झकझोर कर रख देगी। रील लाइफ से उनकी कहानी है लेकिन रियल लाइफ उनकी बहुत संर्घषशील रही है।
विश्व कप में गोल जमाने के बाद चर्चा में छाए शारदानंद के करियर की राह में पहाड़ सी चुनौतियां आईं, जिनको उन्होंने अपनी मेहनत, अनुशासन और घरवालों के समर्पण से दूर किया।
पिता गंगा प्रसाद तिवारी जिलाधिकारी के स्कार्ट की गाड़ी चलाते हैं और वहीं परिसर में पीछे कर्मचारी आवास में परिवार सहित रहते भी हैं।
पिता ने बताया, “वहां काम नहीं मिलता तो किराना स्टोर में सामान की पैकिंग करता। रात भर में उसे दो-तीन सौ रुपये मिल जाते। इसके बाद सुबह उठकर हाकी का अभ्यास करने निकल जाता। सोने की फिक्र न खाने की। हमेशा कहता था बस हाकी खेलनी है। मैने भी उसे रोका नहीं।
कक्षा छह से वह नेशनल कालेज मैदान जाने लगा था। एक दिन कोच ने बुलाया और कहा, बेटा बहुत अच्छी हाकी खेलता है। इसे रोकना नहीं। मैं होमगार्ड हूं, वेतन में मुश्किल से ही गुजारा होता है। बच्चे का मन रखने के लिए अपनी खुशियों को कुर्बान करता रहा। आज लग रहा है जिंदगी भर की मेहनत सफल हो गई।”