इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने एक गरीब दलित छात्रा को आईआईटी-बीएचयू में दाखिला लेने के लिए 15 हज़ार रुपये की फीस अपनी जेब से दी।
संस्कृति रंजन नाम की एक दलित छात्रा आखिरी तारीख तक आईआईटी बीएचयू में दाखिला लेने के लिए 15 हज़ार रुपये की फीस नहीं जमा कर पाई थी, जिसके चलते उसे आईआईटी बीएचयू में दाखिला नहीं मिल पाया था।
छात्रा ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दाखिल कर मांग की थी कि उसे फीस की व्यवस्था करने के लिए कुछ और समय दिया जाए।
शुरू से ही मेधावी छात्रा रही संस्कृति रंजन ने जेईई एडवांस और मेंस की परीक्षा आरक्षित वर्ग में पास कर ली थी, जिसके बाद उस आईआईटी बीएचयू में गणित और कंप्यूटर से जुड़े 5 साल के इंटीग्रेटेड कोर्स में सीट आवंटित की गई।
लेकिन संस्कृति दाखिले के लिए जरूरी 15 हज़ार रुपये की फीस तय समय में व्यवस्था नहीं कर पाई, जिसके बाद उसने फीस की व्यवस्था के लिए कुछ और समय की मांग करते हुए याचिका दाखिल की थी।
याचिका के मुताबिक छात्रा के पिता की किडनी खराब है, उनका किडनी ट्रांसप्लांट भी होना है. छात्रा के पिता की हफ्ते में दो बार डायलिसिस भी होती है. ऐसे में पिता की बीमारी और कोविड-19 के चलते संस्कृति के परिवार की आर्थिक हालत बिगड़ी और संस्कृति अपनी फीस भी जमा नहीं कर पाई।
छात्रा के मुताबिक, उसने ज्वाइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी से थोड़ा और समय मांगते हुए कई बार पत्र लिखा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला जिसके बाद छात्रा ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में फीस से राहत की मांग करते हुए याचिका दाखिल की।
इस पर जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने ज्वाइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी और आईआईटी-बीएचयू को निर्देश दिया कि वह छात्रा को 3 दिन के भीतर एडमिशन दे और अगर सीट खाली न बची हो तो उसके लिए अलग से सीट की व्यवस्था की जाए. मामले की सुनवाई के लिए अगले हफ्ते के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश कोर्ट में दिया है।