चरमपंथी हिंदुओं के एक समूह ने 24 अक्टूबर को गुजरात के आनंद शहर में हाल ही में पांच मुस्लिम और दो हिंदू भागीदारों द्वारा बनाए गए एक रेस्तरां के उद्घाटन का विरोध किया। वे परिसर के बाहर जमा हो गए, भड़काऊ भाषण दिए और मुसलमानों के खिलाफ नारेबाजी की।
कथित हिन्दू कट्टरपंथियों ने रेस्टुरेंट के सामने शुद्धिकरण किया और हनुमान चालीसा का पाठ किया इसके साथ ही गंगाजल से शुद्धिकरण किया। वंही मुस्लिम मिरर एक न्यूज़ वेबसाइट लिखता है कि इसमें लोकल भाजपा नेता पिंकल पाटिया और जिला गौ रक्षा दल मुखिया प्रकाश राजपूत पूरी तरह सक्रीय रहे।
इस दौरान वायरल हो रहे वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कथित हिन्दू कटटरपंथी की भीड़ रेसुरेन्ट के बाहर है जो नारे लगा रही है अगर इस देश में रहना होगा तो जय श्री राम कहना होगा देश के कद्दरों को जूता मारों सालो को आदि भड़काऊ भाषण में नारे लगाए जा हरे है।
क्या था हिटलर का ‘न्यूरेमबर्ग कानून
15 सितंबर 1935 के दिन न्यूरेम्बर्ग कानून बनाकर जर्मन यहूदियों को जर्मन नागरिकता से वंचित कर दिया गया। न्यूरेम्बर्ग कानून के तहत चार जर्मन दादा-दादियों वाले लोगों को ही जर्मन माना गया, शुरुआत में तो यह कानून सिर्फ यहूदियों के लिए ही बने थे, लेकिन बाद में इन्हें जिप्सियों या बंजारों और अश्वेतों पर भी लागू कर दिया गया।
बाद में उन्हें सिनेमा, थियेटर, एग्जीबिशन इत्यादि में हिस्सा लेने से रोक दिया गया।1938 9-10 नवंबर की रात को यहूदियों के पूजास्थलों में तोड़फोड़ की गई। पूरे देश में उनकी दुकानें भी बरबाद कर दी गईं। इसके अगले साल यहूदियों को उनके घरों से निकाल दिया गया। उनकी कीमती चीज़ें जब्त कर ली गईं। कर्फ्यू लगा दिया गया उनके लिए।
उनके टेलीफोन भी छीन लिए गए, इस पूरे दशक में तकरीबन 60 लाख यहूदी मार डाले गए। एक करोड़ दस लाख से ज्यादा को सताया गया। इस पूरे फेनोमेनन को ही होलोकॉस्ट कहा जाता है।
कुछ इसी तरह गुजरात का यह दृश्य है जहाँ सामुदायिक बवाल के पीछे का कारण रेस्टुरेंट में हिन्दू के साथ मुस्लिम की भी हिस्सेदारी है। और प्रकरण के पीछे डॉ शैलेश शाह हैं, जो नवनिर्मित रेस्तरां के बगल में रहते हैं। उन्होंने आनंद-वल्लभ विद्यानगर-करमसाद शहरी विकास प्राधिकरण (एवीकेयूडीए) से संपर्क किया था और आरोप लगाया था कि जमीन के कुछ हिस्सों पर मालिकों का अवैध कब्जा है। हालांकि, अवकुडा द्वारा उनकी याचिका पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
रेस्टोरेंट बनने के बाद डॉक्टर शाह ने मामले को सांप्रदायिक रंग दे दिया. उन्हें कट्टर हिंदू संगठनों और भाजपा नेताओं का समर्थन मिला। उन्होंने प्रचार किया कि मुसलमान ‘भूमि जिहाद’ में लिप्त हैं और हिंदू बहुल इलाके में एक रेस्तरां खोल रहे हैं। उन्होंने अपने प्रचार को आगे बढ़ाने के लिए गुजराती भाषा में पर्चे भी बांटे।
हालाँकि इस घटना के बाद इस्लामिक संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद ने स्थानीय पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन देकर 24 अक्टूबर को हुई भड़काऊ नारेबाजी के सिलसिले में शैलेश शाह, पिंकल पाटिया और अन्य के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.