जंतर-मंतर पर आयोजित किसान संसद में संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े 200 किसानों ने भाग लिया। व्यवस्थित, अनुशासित और शांतिपूर्ण ढंग से कार्यवाही में एक प्रश्न काल भी शामिल किया गया और बहस एपीएमसी बाईपास अधिनियम पर केंद्रित रही। किसान संसद में कृषि मंत्री के इस्तीफे की भी घोषणा हुई।
दरअसल सरकार के पैरोकार के तौर पर चुने गए किसान नेता रवनीत सिंह बराड़ जब सवालों का जवाब देने में नाकाम रहे तो उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया।
एपीएमसी बाईपास अधिनियम प्रस्ताव पारित: वहीं एपीएमसी बाईपास अधिनियम पर दो दिवसीय बहस के अंत में किसान संसद ने सर्वसम्मति से संकल्प प्रस्ताव पारित किया। संकल्पों में कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा कार्यान्वयन को निलंबित करने से पहले जून 2020 से जनवरी 2021 तक एपीएमसी बाईपास अधिनियम के संचालन के प्रतिकूल अनुभव को संज्ञान में लेता है।
इसमें शोषण और धोखाधड़ी की वजह से किसानों को करोड़ों रुपए का नुकसान, एपीएमसी लेन-देन में आई कमी और बड़ी संख्या में मंडियों को हुए भारी नुकसान होना शामिल है। प्रस्ताव में कहा गया कि किसानों को कम मंडियों की नहीं बल्कि अधिक संख्या में मंडियों के परिचालन की आवश्यकता है।
किसान आंदोलन के समर्थन में कई सांसद सदन में पहले ही कई स्थगन प्रस्ताव पेश कर चुके हैं और कई प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है। किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि हर तरफ से अपने आप को घिरा हुआ महसूस करते हुए कृषि मंत्री ने कथित तौर पर कहा कि सरकार किसानों के साथ बातचीत करने को तैयार है।
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कहा गया कि मोदी सरकार में मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कल मीडिया को टिप्पणी में किसानों को मवाली कहकर एक पूरी तरह से अवैध जातिवादी गाली दी। संयुक्त किसान मोर्चा देश को जिंदा और संप्रभु रखने वाले अन्न दाताओं के अपमान और जातिवादी गाली गलौज की कड़ी निंदा करता है।