यूएन ने कुछ साल पहले एक स्टडी की थी और दुनिया के उन देशों की लिस्ट बनाई थी, जहां की सड़कें और सार्वजनिक जगहें औरतों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक हैं।
भारत भी उस सूची में शामिल है यहां की सड़कें और सार्वजनिक जगह पर हर दूसरे मिनट में किस न किसी लड़की के साथ छेड़छाड़ व दुष्कर्म जैसे मामले दर्ज होते हैं।
हाल ही में जारी हुई राष्ट्रीय क्राइम दर्ज की रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रतिदिन 84 बलात्कार के मामले दर्ज किए जाते हैं। अभी दो दिन पहले एक लड़की ने ट्विटर पर अपना एक अनुभव लिखा है।
भारत में ऐसी कई लड़कियां हैं जिन्हें सड़क पर साइकिल चलाने और टहलने का शौक है लेकिन लगातार भारत में हो रही महिलाओं के साथ अपराधिक घटना से उनके मन में डर बैठा हुआ है।
ऐसे में कई लोगों ने अपने अनुभव को साझा किया है और कहा है कि ऐसा शायद ही कभी हुआ हो जब साइकिल लेकर सड़क पर निकली हो और कोई टीका टिप्पणी ना हुई हो।
कभी कोई छाती पर हाथ मारकर जाता है तो कोई बीच सड़क अपनी पैंट की जिप खोलकर खड़ा हो जाता है। कोई लगातार पीछा करता है तो कोई बगल से अश्लील टिप्पणी करके गुजर जाता है।
उसने हर अलग दिन, हर अलग वक्त पर जाकर देख लिया। कहानी नहीं बदलती,न उसका डर, न गुस्सा, न तकलीफ।
इन बातों का नतीजा ये कि सड़कें औरतों के लिए बहुत खतरनाक हैं। सड़क पर डर लगे तो औरत घर को भागती हैस पिछली कॉलोनी में बगल में एक सुंदर सा घर था।
घर में एक सुंदर सी औरत रहती थी। वो पांच महीने प्रेग्नेंट थी। उस घर से अकसर आदमी की चीखने और औरत के रोने की आवाज आती।
लॉकडाउन के दिनों में सारे बड़े अखबारों में एक खबर छपी थी। 25 मार्च से लेकर 31 मई के बीच 1477 महिलाओं ने घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज की। इतने कम समय के भीतर घरेलू हिंसा के इतने केस पिछले 10 सालों में भी नहीं आए थे।
अगर 1477 सुनने भर से आपका दिल बैठा जा रहा है तो नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट भी पढ़ लें, जो कहती है कि घरेलू हिंसा की शिकार 86 फीसदी औरतें कभी हिंसा की रिपोर्ट नहीं करतीं, न पुलिस के पास जाती हैं और न ही मदद मांगती हैं।
हिंसा की रिपोर्ट करने और मदद मांगने वाली औरतों का प्रतिशत सिर्फ 14 है और उनमें से भी सिर्फ 7 फीसदी औरतें पुलिस और न्यायालय तक पहुंच पाती हैं।
यानी हमारे महान देश के महान घरों में वास्तव में रोज मर्द के जूते खा रही औरतों की संख्या उससे कहीं ज्यादा है, जितनी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की फाइलों में दर्ज है। एनसीआरबी की रिपोर्ट कहती है कि भारत में हर तीसरे मिनट एक औरत अपने घर में पिटती है।
मुंबई हाईकोर्ट की उस नामी महिला वकील की तरह, जो महीने में चार-पांच बार ढेर सारा मेकअप लगाकर कोर्ट जाती थी। चेहरे पर फाउंडेशन की मोटी पर्त और आंखों के नीचे ढेर सारा कंसीलर।
कोई कुछ कहता नहीं था, लेकिन जब वो नजरें चुराकर बात करती और हर आधे घंटे में आईने में अपना मेकअप चेक करती तो साथ की वकील औरतें समझ जाती थीं पिछली रात की कहानी। पिछली रात वो फिर पिटी थी अपने पति से।
पिटी तो प्रीती सिंह भी थी अपने बॉयफ्रेंड कबीर सिंह से, जिस पर हॉल में खूब तालियां बजी थीं। चार दिन बाद फिल्म के डायरेक्टर संदीप रेड्डी वांगा ने एक इंटरव्यू में कहा कि “वो प्यार ही क्या, जिसमें थप्पड़ मारने की आजादी न हो। बकौल वांगा मर्द की पिटाई भी उसका प्यार ही है।
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